झारखंड उच्चतर न्यायिक सेवा,2022 के अंतर्गत झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा ज़िला जज के रिक्त 22 पदों को भरने हेतु 2022 में विज्ञापन प्रकाशित किया गया एवं मुख्य परीक्षा का आयोजन सितम्बर 2022 में राँची में कराया गया। जिसमें पूरे देश से आये लगभग 2000 अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया।
कुल 2000 अभ्यर्थियों में से 66 अभ्यर्थियों को झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा मुख्य परीक्षा में उत्तीर्ण घोषित किया गया। एवं दिनांक 12,13 व 14 , मार्च 2023 को साक्षात्कार हेतु पुनः राँची बुलाया गया।
अंतिम परिणाम दिनांक 23 मार्च 2023 को प्रकाशित किया गया। जिसमें 22 में से मात्र 13 अभ्यर्थियों को नियमों के विरुद्ध जाकर मनमर्ज़ी से चयनित किया गया एवं 9 पद पर कोई भी नियुक्ति नहीं किया गया। प्राप्त सूचना के अनुसार अभी तक भी रिक्त है।
परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार नियम के अनुसार अभ्यर्थी को चयन हेतु साक्षात्कार में 30 प्रतिशत अंक लाने की आवश्यकता थी परंतु इस नियम की उपेक्षा करते हुए झारखंड उच्च न्यायालय ने एक विनियम का अभिनीतिकरण किया। जिसके अंतर्गत चयन होने हेतु साक्षात्कार में 50 प्रतिशत अंक लाने का मापदंड तय कर दिया गया।
अंतिम परिणाम के पश्चात असफल अभ्यर्थियों में यह विश्वास का कारण उत्पन्न हुआ कि चूँकि उन्हें साक्षात्कार में 50 प्रतिशत अंक नहीं दिये गये। इसलिये वे परिणामस्वरूप अनुत्तीर्ण पाये गये एवं इसके फलस्वरूप 9 पदों को रिक्त छोड़ दिया गया।
चूँकि 50 प्रतिशत अंकों का मापदंड नियमों के विरूद्ध था एवं विधिक तौर पर विनियमों पर नियमों की वरीयता होती है। अतः उच्च न्यायालय द्वारा घोषित अंतिम परिणाम को कुछ असफल अभ्यर्थियों द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय में यह कहते हुए चुनौती दी गयी कि अंतिम परिणाम को पुनः नियमानुसार घोषित किया जाए एवं विनियमानुसार घोषित परिणाम को विधिवत वापस किया जाए। इस बाबत अभ्यर्थियों द्वारा रिट याचिका क्रमांक ४७५/२०२३ (सुशील कुमार पांडे व अन्य बनाम झारखंड उच्च न्यायालय) उच्चतम न्यायालय में संस्थित की गयी।
रिट याचिका की सुनवाई के दौरान झारखंड उच्च न्यायालय की ओर से आये वरिष्ठ अधिवक्ता श्री सुनील कुमार ने न्यायालय को अवगत कराया कि रिट याचिका के सभी 5 याचिकाकर्ता (सुशील कुमार पांडे, हरी ऊ कुमार, प्रतीक चतुर्वेदी, रणधीर सिंह एवं सुश्री पिंकी सिंह) साक्षात्कार में विनियमानुसार उत्तीर्ण पाये गये हैं एवं सभी के अंक साक्षात्कार में 50 प्रतिशत से ज़्यादा हैं ।
वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा किये गये इस कथन को न्यायिक अभिलेख पर अभिलिखित किया गया एवं इस कथन के बल पर याचिका का निस्तारण कर दिया गया।
अभ्यर्थियों ने इसके पश्चात ज्ञापन के माध्यम से उच्च न्यायालय से यह गुहार लगाई कि जब वे मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार में उत्तीर्ण पाये गये हैं तो किसी भी नियम में एसा कोई उपबंध नहीं है जो कि उन्हें चयन हेतु बाधित करता है एवं एसी परिस्थितियों में वे रिक्त 9 पदों पर चयन किये जाने के हक़दार हैं।
ज्ञापन के 2 माह बीत जाने के उपरांत भी उच्च न्यायालय किसी भी अंतिम निर्णय के लिये जाने में अक्षम है एवं अभ्यर्थियों द्वारा दिया गया ज्ञापन आज दिन तक भी लंबित है।
सभी अभ्यर्थी पेशे से अधिवक्ता हैं और यह समझ पाने में नाकाम हैं कि जब वह प्रतियोगिता की सभी बाधाएँ पार कर चुके हैं एवं किसी भी नियम या विनियम से चयन हेतु बाघित नहीं हैं, तो उच्च न्यायालय द्वारा उनका चयन क्यों नहीं किया गया।
अंत में सभी अभ्यर्थियों ने थक हार कर पुनः उच्चतम न्यायालय से न्याय की गुहार लगाई है एवं इस बाबत पुनः संस्थित की गई रिट याचिका No.753/2023 (सुशील कुमार पांडे व अन्य बनाम झारखंड उच्च न्यायालय) उच्चतम न्यायालय में लंबित है और 11 अगस्त 2023 को अन्य उच्चतम न्यायालय में सुनवाई की तारीख रखी गई है।
इस प्रकार से अपनाई गई प्रक्रिया के फलस्वरूप अन्य 13 चयनित अभ्यर्थी भी आज दिन तक नियुक्तियों से वंचित हैं। एवं झारखंड का न्यायिक तंत्र 22 जिला जजों के बिना ही न्याय का वितरण कर रहा है । और आजतक इस मामले में मेरिट लिस्ट ही प्रकाशित नहीं किया गया जो की गड़बड़ी की आशंका का मूल कारण बना हुआ है। ऐसा सुप्रीम कोर्ट में जाने वाले अभ्यर्थियों का कहना है।