देश भर के स्कूलों में मिड डे मील को लेकर घोटाले सामने आ रहे है। इसी तरह का मामला झारखंड में भी जोरों शोरों पर रहा है। मिड डे मील में अच्छा खाना ना देना कम खाना देना बिल ज्यादा बना देना इस तरह का मामला प्रकाश में आते रहा है।
झारखंड के गिरिडीह जिले में जिला कार्यालय से लेटर जारी कर जिले में प्रखंड के beo पदाधिकारी से मिड डे मील के संबंध में जितने बोरे में चावल गया है उसका हिसाब किताब मांग लिया गया है।
साथ ही साथ चावल को कितने में बेचा गया है या क्या किया गया है इसका भी हिसाब किताब जिला पदाधिकारी द्वारा प्रत्येक प्रखंड के BEO से मांग किया गया है । न सिर्फ हिसाब मांगा है, बल्कि इन बोरियों को बाजार में सरकार की ओर से निर्धारित रेट पर बेचने और इससे मिलने वाला पैसा जमा कराने को कहा है। इसे लेकर अलग-अलग जिलों के जिला शिक्षा अधीक्षकों ने सभी प्रखंड के बीईईओ (ब्लॉक एजुकेशन एक्सटेंशन ऑफिसर्स) को पत्र लिखा है। पत्र को अति महत्वपूर्ण बताते हुए इस आदेश का पालन करने को कहा गया है।
चावल का बोरों का कीमत 14 .40 रुपए के हिसाब से पिछले 6 वर्षों मे मिड डे मील हेतु चावल का या मिड डे मील सामग्री से संबंधित बोरे की गिनती का हिसाब तथा शीघ्र मांगा गया है। बेचे गए बोरो को सरस्वती वाहिनी शिक्षा समिति के खाते में जमा करना होता है अब तक कितनी राशि जमा की गई है। इस संबंध में भी जानकारी मांगा गया है।
साथ ही साथ जिला पदाधिकारी द्वारा कहा गया है कि क्यों नहीं कारण बताओ नोटिस जारी किया जाए ।सभी बीईईओ से यह भी पूछा गया है कि अगर वे निर्धारित समय सीमा के भीतर रिपोर्ट नहीं जमा करते हैं तो क्यों नहीं उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की अनुशंसा की जाए?
गिरिडीह के जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा इस बाबत 24 अप्रैल को लिखी गई चिट्ठी हाथ लगी है।