छत्तीसगढ़ राज्य सम्मेलन संपन्न, 10 सदस्यीय समन्वय समिति गठित, 2-3 अक्टूबर को बोनस सत्याग्रह का फैसला

0 minutes, 6 seconds Read

रायपुर। किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ सवा साल तक किसानों द्वारा दिल्ली का घेराव दुनिया के संसदीय इतिहास की अनोखी घटना है। देशव्यापी आंदोलन के बाद मोदी सरकार को इन कानूनों को वापस लेने को मजबूर होना पड़ा। आज हमारे देश में कृषि के क्षेत्र को कॉर्पोरेट हड़पने की कोशिश कर रहा है। इसके खिलाफ संघर्ष तेज करने की जरूरत है, क्योंकि यदि लाभकारी समर्थन मूल्य का कानून बन भी जाये और बाजार पर पूंजीपतियों का नियंत्रण हो, तो किसानों को समर्थन मूल्य नहीं मिलेगा।

 

Whatsapp Group

उक्त बातें किसान और खेत मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्यवान ने कल यहां रायपुर में संयुक्त किसान मोर्चा के छत्तीसगढ़ राज्य सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कही। सम्मेलन में छत्तीसगढ़ में किसानों, आदिवासियों, दलितों और विस्थापन पीड़ितों के बीच काम करने वाले 20 से ज्यादा संगठनों के 300 से ज्यादा प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे थे। इन संगठनों में छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन, छत्तीसगढ़ किसान सभा, हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति, भारतीय किसान यूनियन, क्रांतिकारी किसान सभा, जिला किसान संघ राजनांदगांव और बालोद, अखिल भारतीय किसान सभा, आदिवासी भारत महासभा, किसान और खेत मजदूर संगठन, किसान महासभा, नया रायपुर प्रभावित किसान संघर्ष समिति, भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ, किसान-मजदूर महासंघ बिलासपुर, सीएमएम कार्यकर्ता समिति, सर्व आदिवासी समाज, किसान मित्र संघ, स्वतंत्र किसान संगठन, बलौदाबाजार आदि संगठन प्रमुख हैं।

See also  Howrah Mumbai mail का ठहराव अब परसाबाद रेलवे स्टेशन पर भी

 

संजय पराते ने सम्मेलन के समक्ष मुख्य प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव में संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा अखिल भारतीय स्तर पर स्वीकृत मांगपत्र का समर्थन करते हुए छत्तीसगढ़ में कृषि संकट की भयावहता को रेखांकित किया गया है तथा राज्य में पेसा कानून, वनाधिकार कानून और मनरेगा पर प्रभावी अमल की मांग करते हुए राज्य स्तर पर 14 मांगों को सूत्रबद्ध किया गया था। प्रस्ताव पेश करते हुए उन्होंने कहा कि यह मांगपत्र साझा किसान आंदोलन को प्रदेश में विकसित करने का आधार बनेगा। इस प्रस्ताव पर विभिन्न संगठनों से जुड़े प्रतिनिधियों ने भी अपनी बातें रखीं, जिसमें आलोक शुक्ला, वकील भारती, प्रवीण श्योकंद, हेमंत टंडन, सुदेश टीकम, जनकलाल ठाकुर, जनक राठौर, सौरा यादव, नरोत्तम शर्मा, विश्वजीत हरोड़े, पद्मा पाटिल, रूपन चंद्राकर, दीपक साहू, श्याम मूरत, रमाकांत बंजारे तथा विनोद नागवंशी आदि प्रमुख थे। प्रतिनिधियों ने कांग्रेस सरकार से मांग की कि भाजपा सरकार के समय का 2 वर्ष का बकाया बोनस देने सहित किसानों और आदिवासियों से किये गए वादों को पूरा करें।

 

सभा को अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव बादल सरोज, किसान संघर्ष समिति के सुनीलम तथा क्रांतिकारी किसान यूनियन, पंजाब के अवतार सिंह महिमा नें भी संबोधित किया। बादल ने अपने संबोधन में कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा वैकल्पिक नीतियों के साथ इस देश में केंद्र और राज्य सरकारों की कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के खिलाफ संघर्ष का मंच है और यह मोर्चा छत्तीसगढ़ के विभिन्न हिस्सों में कॉर्पोरेट लूट और राज्य प्रायोजित दमन के खिलाफ चल रहे संघर्षों को और मजबूती देगा। महिमा ने विस्तारपूर्वक बताया कि किस तरह से लाभकारी समर्थन मूल्य की प्रणाली किसानों के साथ ही गरीब उपभोक्ताओं के भी हित में है। सुनीलम ने कहा कि चाहे कांग्रेस हो या भाजपा, दोनों अडानी-अंबानी के कहार हैं और मजदूर-किसानों की अटूट एकता और उनका साझा आंदोलन ही इनकी नीतियों को परास्त कर सकता है।

See also  NH हाईवे पर नहीं लगेगा टोल टैक्स सिर्फ जानना होगा नियम

 

सम्मेलन ने संयुक्त किसान मोर्चा की 10 सदस्यीय समन्वय समिति का गठन किया है, जिसमें आलोक शुक्ला, प्रवीण श्योकंद, हेमंत टंडन, सुदेश टीकम, नरोत्तम शर्मा, विश्वजीत हरोड़े, रूपन चंद्राकर, संजय पराते, गैंदसिंह ठाकुर, केराराम मन्नेवार शामिल हैं।

 

सम्मेलन ने 2 अक्टूबर को पूरे प्रदेश में “बोनस सत्याग्रह” करने तथा लखीमपुर-खीरी में पिछले वर्ष हुए किसान हत्याकांड के अपराधियों को बचाने के खिलाफ 3 अक्टूबर को “काला दिवस” मनाने का फैसला किया है।

Share this…

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *