Sushil kumar Pandey vs high court of Jharkhand court order झारखंड हाई कोर्ट द्वारा वर्ष 2022 में 22 जिला जजों की नियुक्ति का यह मामला है। जहां झारखंड हाईकोर्ट ने झारखंड सुपीरियर ज्यूडिशल सर्विस कैडर के अंतगर्त 22 पद पर नियुक्ति के लिए नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की थी।
22 पदों में से 13 पदों पर हाई कोर्ट ने लिस्ट जारी कर नियुक्ति की अनुशंसा की थी जिसमें 9 पद खाली रह गए थे।
नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होने के बाद झारखंड हाईकोर्ट ने इसमें बदलाव कर दी थी। हाई कोर्ट की फुलकोर्ट ने जिला जज नियुक्ति में न्यूनतम उत्तीर्ण मार्क्स को 50% कर दिया था। जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया था।
उक्त मामले में सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में सुशील कुमार पांडे एवं अन्य के मामले में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए वर्ष 2022 में जिला जज नियुक्ति मामले में झारखंड हाई कोर्ट के फुलकोर्ट द्वारा लिए गए निर्णय को रद्द करते हुए जिला जज के रिक्त 9 पदों पर जल्द नियुक्ति करने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया में हाईकोर्ट किसी भी शर्त में फेरबदल कर सकता है पर जब नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो गई है तो उसमें फेरबदल करना गलत है। अगर हाई कोर्ट को फेरबदल करना ही था, तो परीक्षण की प्रक्रिया शुरू होने के पहले ही फेरबदल कर सकती थी।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये आदेश
झारखंड हाई कोर्ट के फुलकोर्ट द्वारा नियमों में बदलाव के प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द करते हुए रिक्त 9 पदों पर सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति करने का आदेश दिया है।
याचिकाकर्ता सुशील कुमार पांडे का प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय आने के बाद हाई कोर्ट की नियुक्ति प्रक्रिया पर सबसे पहले सवाल परीक्षार्थी सुशील कुमार पांडे ने उठाया। सुशील कुमार पांडे ने सुप्रीम कोर्ट में civil w(c) 753 /2023 दाखिल किया । जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो उसके बाद अभ्यर्थियों द्वारा दूसरी रिट दायर दाखिल किया गया।
सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय के बाद सुशील कुमार पांडे ने बताया कि हमारे लिए , जुडिशरी , न्यायतंत्र के लिए कामयाबी का क्षण है। जिससे न्यायपालिका पर विश्वास और बढ़ गया है।