झारखंड बने 24 वर्ष बीत गया लेकिन आज भी बीर शहीदों व झारखंड आंदोलनकारी की सपना अधुरा है। इन 24 वर्षों में लगभग सभी बड़ी राजनीतिक दलों बीजेपी , आजसू , कांग्रेस , जेएमएम ने बारी-बारी से शासन किया , शासन से ज्यादा शोषण किया है नतीजतन देश का सबसे अमीर राज्य में आज सबसे ज्यादा गरीबी, बेरोजगारी, पलायन, अशिक्षा, कुपोषण, भ्रष्टाचार पाया जाता है।
राज्य में शिक्षा चिकित्सा व रोजगार जैसे मूलभूत मुद्दे हमेशा गौण रहा कभी चुनावी मुद्दा नहीं बन सका। लगभग सभी पार्टियों ने जाति व धर्म की राजनीति को प्राथमिकता दी। राज्य में सबसे ज्यादा समय बीजेपी और आजसू पार्टी की गठबंधन ने शासन किया जो विशुद्ध रूप से धर्म और जाति की राजनीति पर आधारित रही। वहीं कांग्रेस व जेएमएम की गठबंधन ने जल-जंगल-जमीन की नाम पर सत्ता प्राप्त करके सबसे ज्यादा जल-जंगल-जमीन को लूटने का काम किया। पुर्व मुख्यमंत्री मधुकोड़ा के भ्रष्टाचार ने नया कृतिमान स्थापित किया था और आज भी पुर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जमीन हड़पने व अन्य मामले में ईडी के कस्टडी में हैं।
पिछले दो वर्षों पूर्व झारखंड के बोकारो से कुछ युवकों द्वारा भाषा और खतियान आन्दोलन चलाया और अपनी मेहनत और लगन से समुचे झारखंड में फैलाया। लेकिन कुछ कुडमी संगठन जो पिछले पांच साल से कुडमी को आदिवासी बनाने के लिए संघर्षरत थे ने एक कुडमी लड़का जयराम महतो को नेता के रूप में आगे कर दिया। इससे आन्दोलन की वास्तविक स्वरूप बदल गया और देखते ही देखते आदिवासी व मूलवासी अलग होते चले गए। इधर कुड़मी जाति के भीड़ देख कर जयराम महतो का महात्वाकांक्षा बढ़ गया और जिला परिषद की तैयारी करते-करते बिना विधायक बने मुख्यमंत्री का सपना देखने लगा। अब तो गिरिडीह लोकसभा चुनाव लड़कर सीधे प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहा है।
दुसरे तरफ़ भाषा -खतियान आन्दोलन दिशाहीन हो गया जिसे पुनर्जीवित करने की जरूरत महसूस हो रही है। ताकि राज्य के लोगों को पहचान मिल सके , राज्य हित में नीति बन सके और बेरोज़गार को रोजगार मिल सके। राज्य के शहीदों के सपनों की झारखंड बन सके।
धन्यवाद।
इमाम सफी।। भाषा-खतियान आन्दोलनकारी।