एक बार उसकी पत्नी श्रीमती ललिता जी ने दो तरह की सब्जी थी तब शास्त्री जी ने कहा था कि देशवासियों को ढंग से एक सब्जी भी नसीब नहीं होता। तुमने मुझे दो तरह का सब्जी दे दी। इसलिए मुझे एक ही सब्जी देना। यह कह कर उन्होंने एक सब्जी का कटोरा आपने भोजन की थाली से अलग कर दिया था
