बिरहोर भाषा को संरक्षित करने में लगे है खोरठा गीतकार

0 minutes, 4 seconds Read

Dhanbad पुरा देश आजादी के अमृत महोत्सव पर जनजातीय गौरव दिवस मनाने में जुटा है। वहीं दूसरी ओर,धनबाद जिला के रोवाम गाँव के निवासी झारखंड सरकार से सम्मानित कवि,साहित्यकार निर्देशक एवं खोरठा गीतकर विनय तिवारी खोरठा एवं बिरहोर भाषा के संरक्षण, संवर्धन एवं विकास के लिए भितिचित्र के माध्यम से इसे निरंतरता दे रहे हैं।

ताकि वर्तमान पीढ़ी के साथ- साथ हमारा भविष्य भी भाषा एवं संस्कृति से मज़बूती से जुड़ा रहे। “खोरठा एवं बिरहोर भाषा सीखें एवं विलुप्त होते खोरठा एवं बिरहोर के शव्दों को बचाएं।” इस थीम के साथ चित्रात्मक पाठशाला सजधजकर तैयार हो रही है। भित्तिचित्र पाठशाला के माध्यम से खोरठा एवं बिरहोर समुदाय की विलुप्त हो रही भाषा को संरक्षित करने का अनूठा कार्यक्रम ” *विनय तिवारी खोरठा विकास एवं शोध केंद्र*” रोवाम धनबाद द्वारा चलाया जा रहा हैI खोरठा गीतकार विनय तिवारी का उद्देश्य झारखंड की विशिष्ट कला संस्कृति को समृद्ध बनाना, ग्रामीणों को सामाजिक, आर्थिक,शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक रुप से सशक्त बनाना है।

Whatsapp Group

खोरठा अभिनेता अमन राठोर ने कहा कि हम सबों की पहचान हमारी भाषा एवं संस्कृति है। खोरठा एवं बिरहोर पाठशाला के सफल संचालन में ” *विनय तिवारी खोरठा विकास एवं शोध केंद्र* ” संस्था के संरक्षक कृष्ण कुमार तिवारी, उत्तम मुखर्जी, कोषाध्यक्ष राजीव तिवारी , लोकगायक घनश्याम महतो , मनोज तिवारी, अजय तिवारी, उत्तम तिवारी, गौतम तिवारी, खोरठा फिल्म्स के प्रियतम कुमार पप्पू, समीर मंडल, राजरंजन तिवारी ,रुद्रप्रताप तिवारी की महत्वपूर्ण भूमिका है। दीवारों पर सुंदर चित्रों को उकेरने का कार्य सुप्रसिद्ध चित्रकार दिनेश दास एवं उनके सहयोगी महेंद्र प्रमाणिक द्वारा की गई है।

See also  BREAKING News पुलिस मुख्यालय ने SP और SSP को भेजा कारण बताओ नोटिस

यह भित्तिचित्र देश-विदेश में चर्चित खोरठा लेखक ,कवि निर्देशक खोरठा गीतकार विनय तिवारी की रचना और संकलन पर आधारित है। विनय तिवारी नें बताया कि भितिचित्र बनाने का उद्देश्य समाज के बच्चों को सुंदर चित्रों के माध्यम से नि:शुल्क खेल-खेल में खोरठा एवं बिरहोर भाषा का ज्ञान देना है एवं उनकी संस्कृति को बचाना है I सामान्य बोल-चाल की भाषा में प्रयुक्त होने वाली शब्दों की चित्रमय प्रस्तुति के साथ हिंदी ,अंग्रेजी, बिरहोर एवं खोरठा भाषा में रुपांतरण भी किया गया है।

नई पीढ़ी को खोरठा एवं बिरहोर भाषा की जानकारी कम होते जा रही है।विनय तिवारी ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि आज लोग घरों में बोलचाल की भाषा खोरठा एवं बिरहोर के जगह हिंदी में कर रहे है । यही स्थिति रही तो खोरठा एवं बिरहोर भाषा तेजी से लुप्त हो जाएगी। यूनेस्को द्वारा भी क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषा को गंभीर खतरे की भाषा में शामिल किया गया है। अतः भित्तिचित्र के माध्यम से बिरहोर भाषा का संरक्षण आसानी से किया जा सकता है।

See also  JPSC cut off से 4 नंबर अधिक, नहीं हुआ सिलेक्शन, (7 -10)वीं JPSC रिजल्ट ही धोखा

खोरठा गीतकार विनय तिवारी ने कहा कि भाषा केवल अभिव्यक्ति का माध्यम भर नहीं है। यह समाज की अस्मिता, निर्माण, विकास तथा सामाजिक व सांस्कृतिक पहचान का भी महत्वपूर्ण साधन है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार , विश्व में बोली जाने वाली कुल भाषाओं की संख्या लगभग 6900 है।इनमें से 90 फीसदी भाषाएँ बोलने वालों की संख्या एक लाख से कम है।यूनेस्को के अनुसार पिछली सदी में लगभग 600 भाषाएँ लुप्त हो गई और हर दो सप्ताह में एक भाषा की दर से यह लुप्त होती जा रही है।

ऐसा माना जा रहा है कि यदि यह गति रही तो सदी के अंत से पहले दुनिया की 90 प्रतिशत भाषाओं के गायब होने की संभावना है।भाषाई संकट के ऐसे कठिन दौर में किसी भी भाषा की संपन्नता के लिए उठाया गया कोई भी कदम बहुत महत्वपूर्ण है।

Share this…
author

Ojha Rajesh Purohit

Senior Journalist

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *