Atique Ahmad अतीक अहमद मर्डर केस बहुत सुर्खियां और ट्रेंडिंग हो रहा है समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल वर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि जो कुछ भी अतीक अहमद के साथ हुआ वह निंदनीय और साजिश के तहत किया गया। अतीक अहमद ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी कि पुलिस अभिरक्षा में ही मेरी मौत हो सकती है इसीलिए मेरी सुरक्षा बढ़ाई जाए ।
सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट से कोई राहत नहीं मिलने के बाद यूपी सरकार व पुलिस के लिए खुला ऑफर समझा गया। सोचने की बात यह है की साबरमती आश्रम से अतीक अहमद और उनके भाई को बरेली जेल से लाया गया पुलिस पुलिस कस्टडी में कभी नहीं होना चाहिए कि 10:00 बजे रात को उन्हें मेडिकल के लिए ले जाया जा रहा हो।
जब साबरमती जेल से लाया जा रहा था तो सुरक्षा कितना ज्यादा था जेल ले जाने के समय दोनों भाइयों के हाथ में हथकड़ी और ओपनली आ करके उसे मर्डर कर देते हैं। पुलिस का रिएक्शन में एक गोली भी फायर नहीं होता है और अपराधी खुद को सरेंडर कर देते हैं सोचने की बात है।
समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल वर्मा ने आगे कहा कि मैं अतीक अहमद का कोई पक्ष नहीं ले रहा लेकिन तीन बार का निर्दलीय विधायक अगर बाहुबली होता और जनता को सताता तो उसे निर्दलीय विधायक लगातार तीन बार नहीं चुना जाता।
एक बार समाजवादी पार्टी से भी चुनाव जीता एक बार फूलपुर से लोकसभा का सांसद बिरहा जनता से प्यार और दुलार के बाद यहां तक पहुंचा संभावना है कि आने वाले समय में उनके दो और बेटों के साथ हादसा कर उनका भी मर्डर किया जा सकता है। ज्ञात हो कि पुलिस के द्वारा अधिक रहमत पर 180 से ज्यादा केस है एक में ही सजा हुई है।
आपको बताते चलें कि अतीक अहमद ने आज तक के साथ किए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि मुझे अतीक अहमद से बाहुबली मीडिया ने बनाया। अगर मैं किसी काम से कहीं जाता हूं और मेरे पीछे अगर गाड़ियां जाती है तो बाहुबली की दिखा जाता वहीं बीजेपी के नेता अगर कुछ ऐसा शक्ति प्रदर्शन करते हैं तो फैन फॉलोइंग दिखाई जाती है।
मीडिया ने मेरे बारे में नहीं चलाया कि मुझे हाईकोर्ट से मेरे टोटल 180 मुकदमों में 123 के मुकदमा को रद्द कर दिया।
यह आर्टिकल इंटरनेट की जानकारी के बाद से लिखी गई है। पुलिस अभिरक्षा में इतनी कम सुरक्षा के साथ दोनों भाइयों को हथकड़ी लगाकर ले जाना अभी 10:00 बजे रात एबी सवाल के घेरे में है। अगर कोई भी जांच एजेंसी बिना दबाव केयर निष्पक्ष होकर जांच करें तो बहुत बहुत बड़े नेताओं कब हाथ इसमें हो सकता है।
जहां तक लोकल रिपोर्ट की बात करें तो पुलिस कस्टडी में अतीक अहमद और उसके भाइयों का पूछताछ किया जा रहा था तो लोकल मीडिया के लोगों को भी पता नहीं होता था कि कितने बजे अतीक अहमद का मेडिकल या कुछ मूवमेंट किया जाएगा।
लेकिन सूत्रों को एग्जैक्ट समय लोकेशन एक साथ पता था और पत्रकार बनकर आए शूटर ने उन्हें उन्हें मौत के घाट उतार देते हैं एक ही सवाल के घेरे में है।