रांची चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के उस मांग को ठुकरा दिया है जिसमें उन्होंने अपने सदस्यता के मामले में गवर्नर को भेजे गए सलाह की कॉपी मांगी थी।
मुख्यमंत्री अपने वकील के माध्यम से 15 सितंबर 2022 को चुनाव आयोग में एक आवेदन दाखिल किया था। इस आवेदन में हेमंत सोरेन ने कहा था कि
यह सुनवाई आयोग में हेमंत सोरेन के सदस्य को लेकर थे जो न्यायिक प्रकृति का है। अतः इसमें गवर्नर रमेश बैस को भेजी गई सलाह की कॉपी हेमंत सोरेन को भी उपलब्ध करा दी जानी चाहिए।
चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन के वकील द्वारा भेजे गए आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि गवर्नर और आयोग के बीच का मामला सविधान की धारा 192 (2) के तहत जिस अधिकार से जुड़ा हुआ है। जब तक इस मामले में संबंधित गवर्नर द्वारा कोई आर्डर जारी नहीं कर दिया जाता।
तब तक इसका खुलासा संवैधानिक औचित्य का उल्लालघंन माना जाएगा। चुनाव आयोग ने अपने जवाब में यह भी लिखा है कि संविधान की धारा 192(2)के तहत किसी गवर्नर से हुए पत्राचार का मामला सूचना के अधिकार के दायरे में भी नहीं आता।
जब तक कि इसमें गवर्नर द्वारा फाइनल ऑर्डर पास ना कर दिया जाए। चुनाव आयोग ने इस मामले में भाजपा विधायक के आयोग के मामले का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में डीडीसी थाई सी बनाम इलेक्शन कमीशन ऑफ़ इंडिया केस में यही मामला सामने आया था।
उस वक्त भी आयोग ने कोर्ट को इसकी जानकारी दी थी कि यह मामला संविधान की धारा 192(2)के तहत विशेष अधिकार से जुड़ा हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आयोग की दलील को सही ठहराया था। बात है कि चुनाव आयोग ने 25 अगस्त को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता के मामले में अपने झारखंड के गवर्नर रमेश बैस को भेज दी थी।
गवर्नर ने चुनाव आयोग से उस शिकायत पर सलाह मांगी थी जिसमें भाजपा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ शिकायत की थी।
हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री रहते हुए ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का आरोप लगाया था ।जिसमें कहा गया था कि उन्होंने खुद अपने नाम से अंगना में एक स्टोन माइंस आउट करवा लिया है।