Gulam hausain झारखंड पंचायत सचिव का परीक्षा फल सरकार को मजबूरन करना ही पड़ा। मामला कोर्ट भी गया कोर्ट ने अभ्यर्थियों के हक में फैसला दिया। बावजूद एक छात्र का संघर्ष है जो लड़ाई इस छात्र ने लड़ी है ।
झारखंड पंचायत सचिव एवं लिपिक के अभ्यर्थियों का परिवार वाले उनके कर्जदार है। पकड़ भारत की टीम उस छात्र नेता से मिला, उस छात्र नेता का नाम है गुलाम हुसैन।
इस लड़ाई में गुलाम हुसैन को माथा भी फरवाना पड़ा जेल तक भी जाने की नौबत आ पड़ा, पुलिस के द्वारा प्रताड़ना भी झेलना पड़ा, कितना बार पुलिस उसे उठाकर ले भी गए, पुलिस पीछे पड़ी रही लेकिन गुलाम हुसैन बेसहारा होने के बाद भी छात्रों को ही सहारा मानता रहा।
उनकी बात जब कोई सुनने वाला नहीं था उस समय डिजिटल प्लेटफॉर्म यूट्यूब चैनल के द्वारा छात्रों को एक पल की खबर को पहुंचाता रहा। उसकी संघर्ष की कहानी पंचायत सचिव एवं लिपिक या अन्य मामलों में छात्रों के लिए हमेशा उसका एक कदम आगे रहा करता है। शायद ही नवनियुक्त चयनित अभ्यर्थी कुछ समय के बाद उसे भूल जाएं या भूल भी गए हैं लेकिन गुलाम हुसैन का एक प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से आप हमेशा कर्जदार रहेंगे। यह सारी घटना जो लिखित है उनके साथी ही सही बताते हैं। और कहते हैं की गुलाम हुसैन छात्रों की लड़ाई में हमेशा आगे रहते हैं।
पकड़ भारत छात्रों की लड़ाई में हमेशा तत्परता से खड़ा रहा है और रहेगा। लेकिन छात्रों की लड़ाई में जिस तरह से गुलाम हुसैन ने संघर्ष किया वह काबिले तारीफ है , बधाई के पात्र हैं। जो संघर्ष के बाद जो रिजल्ट आया है जितने भी नवनियुक्त पंचायत सचिव बने हैं सभी की तरफ से गुलाम हुसैन को ढेर सारी शुभकामनाएं।
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