साहिबगंज के तीनपहाड़ा थाना थाना अंतर्गत एक दुष्कर्म का मामला 4 मार्च 2015 को आया था। उस मामले के अंतर्गत 6 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के बाद हत्या कर दिया गया था।
राजमहल व्यवहार न्यायालय प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजय कुमार दुबे की कोर्ट ने 12 दिसंबर को आरोपी को सजा-ए-मत के रूप में फांसी की सजा सुनाया है।
क्या था मामला
प्राप्त जानकारी के अनुसार 4 मार्च 2015 को राजमहल थाना अंतर्गत जोका गांव में एक नन्ही स बच्ची का दुष्कर्म किया गया।बाद में उसे मौत के घाट उतार दिया गया था।
इसी मामले को लेकर मृतक के पिता ने पुलिस को बताया था कि उसी का पड़ोसी मोहम्मद रोहित शेख उर्फ कलुआ 27 वर्ष पिता मोहम्मद जावेद शेख उसकी पुत्री को घर से पहला फुसलाकर खेलने के लिए ले गया।
जब देर रात तक बच्चे घर वापस नहीं आई तो अगल-बगल खोजबीन करने के बाद भी कोई बच्ची का पता नहीं चला। खोजबीन के क्रम में गांव के ही मोहम्मद वसीम एवं इमाम शेख ने बताया कि उसकी पुत्री को कलुआ अपने कंधे पर बैठाकर संध्या के समय को खाते किनारे ले गया था।
जब आगे खोजा गया तो शिमला तलाश के पास गेहूं के खेत में बच्ची का शव पड़ा हुआ था। बच्ची के गर्दन में खरोच एवं काला धागा का निशान था ।कपड़े अस्त-व्यस्त थे।
जिसके बाद देखने से पता लग रहा था बच्ची के साथ दुष्कर्म हुआ है और बाद में जान से मार दिया गया।
बच्ची का लाश कहां पर मिला
बच्ची का शव मिलने के बाद बच्ची के पिता ने थाना में कलुवा के खिलाफ बहला-फुसलाकर तलाक के खेत में दुष्कर्म कर हत्या करने का एफ आई आर दर्ज करवाया।था।
मामले को लेकर पीड़िता के पिता के बयान पर थाना कांड संख्या 81/2015 के रूप में प्राथमिकी दर्ज हुई थी। केस की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से 12 गवाह के पेश किए गए।
आरोप सिद्ध होने पर कोर्ट ने आरोपी कलुआ को हत्या मामले में मृत्युदंड की सजा सुनाई। इसी मामले में दुष्कर्म के तहत पोस्को के तहत आजीवन कारावास के साथ-साथ 100000 का जुर्माना भी लगाया गया।
जुर्माना का भुगतान नहीं करने पर 1 साल की अतिरिक्त सजा सुनाई गई है। दुष्कर्म के बाद बच्ची की हत्या के मामले में 7 साल का कोर्ट का निर्णय आया।
पुलिस ने पूरे मामले में 12 ग्वाह को कोर्ट में प्रस्तुत किया। गवाहों के प्रस्तुत होने के बाद दोषी कलूवा से जुर्म स्वीकारना भी सजा की मजबूत आधार बन गया।
7 साल के बाद मिला न्याय
इस मामले में लगातार सुनवाई होने के बाद तीन पहाड़ा थाना क्षेत्र के जो का गांव में गत 4 मार्च 2015 को घटित एक नाबालिक बच्ची के साथ दुष्कर्म कर हत्या कर देने के बाद 7 साल बाद फांसी की सजा पर परिवार वालों ने कहा कि
अब उन्हें बच्ची तो नहीं रही लेकिन जितना हो सकता था न्याय मिल गया है। उस पल परिवार वाले बताते हैं कि घटना के बाद से ही परिवार में काफी खौफ का मंजर एवं काफी डरे सहमे थे।
लेकिन कोर्ट पर पूरा भरोसा था कि कोर्ट से उन्हें और उनकी बच्ची को जरूर न्याय मिलेगा इसी उम्मीद पर हमने उम्मीद नहीं हारी और आखिरकार 7 सालों के बाद मेरी बच्ची को न्याय मिला और उस दुष्ट पापी को उसे किए गए कुकर्म की सजा मिल गई।