Jharkhand news झारखंड हाईकोर्ट के आदेश से झारखंड में कार्यरत देहाड़ी मजदूरी करने वालों जिंदगी में खुशियां लौट आएगा। दैनिक वेतन भोगी के लिए हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जितने भी दिहाड़ी मजदूर करने वाले कामगार हैं जो 20 साल से नियमित सेवा दे रहे हैं उन्हें नियमित किया जाए।
हाईकोर्ट के इस निर्देश के बाद दैनिक वेतन भोगी के घरों में कर्मचारियों में खुशियां लौट गई। उसके परिवार में रौनक आ जाएंगे।
अजीमुल हक अंसारी समेत छह लोगों के द्वारा याचिका की सुनवाई हाई कोर्ट में दैनिक वेतन भोगी के संबंध में आदेश पारित किया। याचिका द्वारा मांग की गई थी कि सारे दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की सेवा झारखंड द्वारा स्थानांतरित की गयी थी ।और निर्देश दिया गया था कि कर्मचारी सभी मापदंडों को पूरा करेंगे तो ही सेवा नियमित की जाएगी।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि झारखंड में दैनिक वेतन भोगी के रूप में इनकी सेवा वर्ष 2012 में ही ले लिया गया था।
करीब 20 साल तक सरकार की सेवा दैनिक मजदूरी के रूप में करने के बाद सरकार से आग्रह किया गया था की नियमित किया जाए। परंतु सरकार द्वारा इन्हें मापदंड के तहत बांध दिया गया था। दैनिक मजदूरों को 20 साल की सेवा देने के बाद हटा दिए जाने का सरकार द्वारा पूरे तरीके से बंदोबस्त कर लिया गया था । इसी के संबंध में दैनिक कामगारों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
अदालत ने नियमित करने का दिया आदेश
दैनिक मजदूरी पर काम करने वालों की याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया।
हाई कोर्ट ने झारखंड के मुख्य सचिव को सभी कर्मचारियों की सेवा को आठ सप्ताह में नियमित करने का निर्देश दिया। साथ ही इसकी जानकारी अदालत को भी देने का निर्देश दिया।
हाईकोर्ट ने कहा कि 20 साल से काम कर रहे हैं और अभी भी सेवा में हैं, तो इन्हें नियमित नहीं करना और नियमित वेतनमान नहीं देना न्याय संगत नहीं है। अदालत ने मुख्य सचिव को आदेश की कॉपी भेजने का भी निर्देश दिया है। सुनवाई के बाद अदालत ने आठ सप्ताह में सेवा को नियमित करने का निर्देश दिया है।