JPSC सातवीं जेपीएससी परीक्षा में निर्धारित फार्मेट में जाति प्रमाण पत्र नहीं देने पर आरक्षण का लाभ मिलने से वंचित अभ्यर्थियों के द्वारा दाखिल याचिकाओं पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने इस केस की सुनवाई के बाद सभी मामलों को वृहद बेंच में लंबित मामलों के साथ सुनवाई करने के लिए भेजने का निर्देश दिया।
वृहद बेंच में समान मसले पर सुनवाई लंबित है। पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2016 के राजकुमार गिजरोईया बनाम दिल्ली के आदेश का हवाला दिया गया। कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि यदि जाति प्रमाण पत्र को निर्धारित फार्मेट में देने में कुछ समय लगता है, तो इसके आधार पर नियुक्ति रद नहीं की जा सकती है।
इस संबंध में प्रार्थी सुनील कुमार सुमन, अंजलि बाखला सहित 13 अभ्यर्थियों की ओर से याचिकाएं दाखिल की गई हैं। याचिका में कहा गया है कि सातवीं जेपीएससी की मेरिट लिस्ट मई 2022 में जारी की गई थी। बाद में अभ्यर्थियों का मार्क्स स्टेटमेंट जारी किया गया, जिसमें प्रार्थी ने अपने निर्धारित श्रेणी में कट आफ मार्क्स से ज्यादा अंक प्राप्त किया है।
जेपीएससी ने इनका चयन इसलिए नहीं किया, क्योंकि उनकी ओर से दिया गया जाति प्रमाण पत्र राज्य सरकार की बजाय केंद्र सरकार ने जारी किया था। प्रार्थी का कहना था कि प्रमाण पत्र सत्यापन के दौरान आयोग की ओर से कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई गई। उन्हें साक्षात्कार में शामिल किया गया, लेकिन चयन नहीं किया गया।