झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के द्वारा एक तरफ यहां वैकेंसी की भरमार लगी हुई है। वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार संयुक्त स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक प्रतियोगिता परीक्षा 2016 के तहत भर्तियां की जा रही है।
जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में निर्देश दिया है कि जस्सी की तरफ से भर्ती प्रक्रिया जारी है जहां अभ्यर्थियों से जिला का विकल्प मांगे गए हैं तो प्रमाण पत्र की जांच भी साथ-साथ चल रही है इसी कड़ी में संस्कृत विषय के अभ्यर्थियों इसर्टिफिकेट भर एक वेरिफिकेशन में बहुत बड़ी गड़बड़ी सामने को देखने को मिला है।
स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की तरफ से निर्देश है कि संस्कृत भाषा के शिक्षकों की नियुक्ति के संबंधित नियुक्ति नियमावली में निर्धारित योग्यता के अनुसार ही की जाएगी भर्ती नियम के मुताबिक अभ्यर्थियों के लिए 45% अनिवार्य है वही अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए 40% के साथ होना भी जरूरी है। साथ ही साथ साहित्य व्याकरण में अथवा अचार का प्रमाण पत्र भी संस्कृत विषय के लिए आवश्यक हो।
लेकिन कई अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र निर्धारित के अनुसार नहीं मिली है। प्रमाण पत्र की जांच में 138 अभ्यर्थियों ने संस्कृत (आचार्य/साहित्य ) व्याकरण समर्पित ही नहीं किया। वहीं 42 अभ्यर्थियों ने संस्कृत व्याकरण आवेदन समर्पित करने की अंतिम तिथि के बाद समर्पित किया था ।
संस्कृत व्याकरण के स्थान पर किसी अन्य विषय के साथ ही नहीं किया जमा नहीं किया। विद्यालय का अनुभव प्रमाण पत्र के साथ स्पेशल प्रमाण किया है इसके अलावा से ज्यादा कोई दस्तावेज नहीं जमा कराया जबकि एक अभ्यर्थी संस्कृत फेल पाए गए है।