मुरली कार्तिक यह उस दौर का मैच था जब एकदिवसीय सिरीज सात-सात मैचों की हुआ करती थी। उस दौर में एकदिवसीय मैचों की दीवानगी आज के टी20आई मैच की तरह हुआ करती थी और हर एकदिवसीय मैच में स्टेडियम दर्शकों से खचाखच भर जाया करता था। उस दौर में आस्ट्रेलियाई टीम की बादशाहत कायम थी और उनका समूचे क्रिकेट जगत पर एकक्षत्र राज चल रहा था।उस दौर में भी भारतीय टीम ही एकमात्र टीम थी जो आस्ट्रेलिया को कङी टक्कर दे पा रही थी।
वर्ष 2007 में भारत और आस्ट्रेलिया के बीच 7 मैचों की वनडे सिरीज चल रही थी और भारत इस सिरीज में 4-1 से पीछे चल रहा था। सिरीज का आखिरी मैच मुम्बई में खेला जा रहा था। आस्ट्रेलियाई टीम टाॅस जीतकर पहले बल्लेबाजी कर रही थी और 2 विकेट खोकर 117 रन बनाकर बेहद मजबूत स्थिति में थी। ऐसा लग रहा था कि आस्ट्रेलियाई टीम 300 रन बनाकर यह मैच भी आसानी से जीत लेगी। इस बीच भारत के स्पिनर मुरली कार्तिक ने अपना जादू बिखेरना शुरू किया। 117 रन के स्कोर पर उन्होने पहले ब्रेड हाग को आउट किया फिर अगली ही गेंद पर पिछले मैच के शतकवीर एन्ड्यू साइमंड्स को शून्य रन पर पहली ही गेंद पर सचिन तेंदुलकर के हाथों कैच आउट करवा दिया। जो स्कोर 117 रन पर 2 विकेट था वही अब 117/ 4 रन हो गया था।
इस मैच में मुरली कार्तिक का जलवा कुछ इस तरह छाया कि उन्होने इस मैच में आस्ट्रेलियाई टीम के 6 विकेट निकाल दिए। उनका बालिंग विश्लेषण 10 ओवर 3 मेडन 27 रन और 6 विकेट रहा। कार्तिक की घातक गेंदबाजी के कारण आस्ट्रेलिया महज 193 रन बनाकर आलआउट हो गया। महज 76 रन के अंदर आस्ट्रेलिया ने अपने 8 विकेट गंवा दिए थे जिनमें 6 विकेट कार्तिक के ही थे।
194 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम के ओपनर बल्लेबाज और लिटिल मास्टर सचिन तेंदुलकर पर उनके घरेलू मैदान वानखेङे में अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव था लेकिन तेंदुलकर महज 21 रन बनाकर ब्रेट ली की गेंद पर क्लीन बोल्ड हो गये थे। सौरव गांगुली तो अपना खाता भी नही खोल सके थे और 7 गेंद खेलकर शून्य रन बनाकर मिचेल जानसन का शिकार हो गये थे। वनडाउन बल्लेबाजी करने दिनेश कार्तिक आए थे वह भी 6 गेंद खेलकर शून्य रन बनाकर मिचेल जानसन का शिकार हो गये। अब तक काल बन चुके आस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाजी में बदलाव हुआ और नाथन ब्रेकन आक्रमण पर आए और उन्होने युवराज सिंह (15 रन) और महेन्द्र सिंह धोनी( 5 रन) को आउट करके भारत को गहरा सदमा दे दिया था। इस बीच इरफान पठान भी शून्य रन बनाकर जेम्स होप्स की गेंद पर आउट हो गये और भारत का स्कोर 64/6 हो चुका था।
पूरा वानखेङे स्टेडियम सन्न हो चुका था और लोग मैदान छोङकर घर वापसी भी करना शुरू कर चुके थे। ऐसा लग रहा था जैसे मुरली कार्तिक की मेहनत पर पानी फिर जाएगा। आस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज आग उगल रहे थे और लग रहा था कि यह मैच भी आस्ट्रेलियाई टीम आसानी से जीत लेगी लेकिन इस बीच राबिन उथप्पा ने 47 रन की जबरदस्त पारी खेल और हरभजन सिंह 19 रन के साथ मिलकर 65 रन की साझेदारी करके भारतीय टीम का स्कोर 129 रन तक पहुंचाया था।
इस बीच जब लगा उथप्पा मैच जिता देंगे तभी वह माइकल क्लार्क की गेंद पर एलबीडब्लू आउट हो गये। 143 रन जब भारत का स्कोर था तब। हरभजन सिंह भी 19 रन बनाकर मिचेल जानसन का शिकार हो गये और भारत का 8वां विकेट भी गया था।जब भारत को जीत के लिए 51 रन की जरूरत थी और मात्र 2 विकेट शेष बचे थे और कोई भी विशेषज्ञ बल्लेबाज नही बचा था तब ज्यादातर दर्शक भारत की हार तय मानकर मैदान छोङकर घर वापस जाना शुरू कर दिए थे।
इसी बीच जहीर खान और मुरली कार्तिक ने वह चमत्कार कर दिखाया जिसकी किसी ने कल्पना भी नही की रही होगी। जहीर खान (नाबाद 31 रन) और मुरली कार्तिक (नाबाद 21 रन) ने अविजित 52 रन की साझेदारी करके भारत को 2 विकेट से इस मैच में जीत दिला दी।
यह मैच भले ही लो स्कोरिंग रहा हो लेकिन रोमांच से भरपूर यह मैच आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है। मुरली कार्तिक को उनकी शानदार गेंदबाजी और बल्लेबाजी के कारण मैन आफ द मैच का पुरस्कार मिला था। इस मैच में जहीर खान ने गेंद और बल्ले से यादगार प्रदर्शन किया था। आस्ट्रेलिया को जितना दर्द मुरली कार्तिक ने दिया है शायद ही आस्ट्रेलियाई टीम उनको भूल पाए।