पुलिस पत्रकारों को बिना किसी जुर्म में जेल भेज देती है। पत्रकार अगर पुलिस के खिलाफ कुछ लिख देते हैं तो साजिश करके उसे झूठे केस में फंसा देती है।
हाई कोर्ट की टिप्पणी के बाद पीएम और सीएम का भी ऐलान आया है कि पत्रकारों से अभद्रता करने वालों पर लगेगा 50000 का जुर्माना साथ ही साथ पत्रकारों से बदसलूकी करने पर हो सकती है 3 साल की सजा।
पत्रकार को धमकाने वाले को 24 घंटे के अंदर जेल भेज दिया जाएगा। अगर पुलिस पत्रकारों को किसी झूठे मामले में फसाती या धमका देती है तो इसे और ज्यादा कठोर कानून लागू होगा।
पत्रकारों को धमकी के आरोप में गिरफ्तार लोगों को आसानी से नहीं मिलेगी जमानत। बदसलूकी करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ दर्ज होगी f.i.r. नहीं तो एसएसपी पर होगी कार्रवाई।
पत्रकार नहीं है भीड़ का हिस्सा। पत्रकारों के साथ बढ़ती ज्यादती और पुलिस के अनुचित व्यवहार के चलते कई बार पत्रकार आजादी के साथ काम नहीं कर पाते हैं।
क्या कहा मार्कंडेय काटजू ने
पत्रकार चौथा स्तंभ है लेकिन स्वतंत्रता पूर्वक काम नहीं कर पाने को ध्यान में रखते हुए भारतीय प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू ने रा सरकारों को चेतावनी देते हुए निर्देश दिया है।
मार्कंडेय काटजू ने कहा कि पुलिस यादी पत्रकारों के साथ बदसलूकी ना करें। किसी सन पर हिंसा या बवाल होने की स्थिति में पत्रकारों को उनके काम करने में पुलिस व्यवधान नहीं पहुंचा सकती।
पुलिस जैसे भीड़ को हटाती है वैसा व्यवहार पत्रकारों के साथ नहीं कर सकती।पुलिस वालों या अधिकारियों के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू ने आगे कहा कि जिस तरह कोर्ट में एक अधिवक्ता अपने मावकील का हत्या का केस लड़ता है पर वह हत्यारा नहीं हो जाता।
उसी प्रकार किसी सार्वजनिक स्थान पर पत्रकार अपना काम करते हैं पर वे भीड़ का हिस्सा नहीं होते। इसलिए पत्रकारों को उनके काम से रोकना मीडिया की स्वतंत्रता का हनन है।
Kaun sa maulik Adhikar ka Hanan/कौन सा मौलिक अधिकार का हनन
पुलिस के द्वारा पत्रकारों के साथ की गई हिंसा मीडिया की स्वतंत्रता के अधिकार का हनन माना जाएगा जो संविधान का अनुच्छेद 19 (1) (a)में दी गई है।
और इस संविधान की धारा के तहत बदसलूकी करने वाले पुलिसकर्मियों या अधिकारियों के अपराधिक मामला दर्ज होगा।