रांची वैसे तो झारखंड धनसंपदा से भरा पड़ा हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से राज्यों के वित्तीय स्थिति को देखते हुए झारखंड राज प्रदेश के बड़े कर्जदार में से एक बताया है। और चिंता भी जताया है जहां पिछले वित्तीय वर्ष तक यह कर्ज का बोझ 38 पॉइंट 7 से ज्यादा प्रतिशत बढ़ गया है।
वर्तमान समय में झारखंड पर कर्ज का बोझ
हालिया रिपोर्ट आने पर 31 मार्च 2023को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष का कर्ज से स्पष्ट हो चुका है। बताया गया है कि उत्तर प्रदेश पंजाब राजस्थान केरल आंध्र प्रदेश पश्चिम बंगाल झारखंड जैसे राज्यों में खर्च को विभिन्न स्रोतों से कर्ज लेकर बढ़ावा दिया जा रहा है। इन प्रदेशों की आर्थिक हालात लगातार खराब से खराब होती जा रही है राज्यों को विभिन्न स्रोतों से आमदनी का एक हिस्सा कर्ज के ब्याज के रूप में चुकाने पड़ रहे हैं। और कर्मचारियों की पेंशन का भी बड़ा पड़ा है ।
राज्य सरकार का एक्शन प्लान
इस संबंध में झारखंड के वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने साल बजट प्रस्ताव पेश करते हुए दावा किया था कि राज्य से बाहर लेगी आंतरिक संसाधनों एवं राजस्व वसूली करने का प्रयास किया जाएगा आपको बता दें कि चालू वर्ष की पहली तिमाही तक अब एक ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है जहां पर कर्ज पर कोई विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
झारखंड पर 66136 करोड का नगद कर्ज
झारखंड का कर्ज 96406 करोड़ रूपए है इसमें से 66136 करोड़ रुपए बैंकों से लिए गए हैं जबकि 28000 करोड रुपए से अधिक कर दिए खातों से लिया गया है यह आंकड़ा 2020 के रिपोर्ट के अनुसार हैं झारखंड समेत पंजाब राजस्थान केरल पश्चिम बंगाल मध्य प्रदेश जैसे राज्यों का को कर्ज का बोझ बढ़ता ही चला जा रहा है।