चंदवारा-प्रखण्ड के संजीवनी अकादमी के निदेशक संजीव कुमार को पोस्को 34/2017 में जिला एवम सत्र न्यायधीश प्रथम कोडरमा ने मंगलवार को निर्दोष करार देते हुए बाईज्जत बरी कर दिया।
क्या था पूरा मामला
उल्लेखनीय हो की वर्ष 2016में चंदवारा थाना कांड संख्या 91/2016 संजीवनी अकादमी के निदेशक के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया था । जिसमे सभी गवाहों का परीक्षण करने के उपरांत सबूत के अभाव में जिला एवम सत्र न्यायधीश प्रथम ने संजीव कुमार को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया।
हाईकोर्ट ने मामले में क्या देखा
संजीव कुमार के तरफ से उच्च न्यायालय रांची के अधिवक्ता बिनोद सिंह व कोडरमा कोर्ट के अधिवक्ता अनवर हुसैन ने दलील देते हुए कहा था कि इनफॉर्मर रामचंद्र यादव गैड़ा अपने व अपने भाई शंकर यादव, जागेश्वर यादव ,लक्ष्मण यादव के पुत्र विनय कुमार ,अजय कुमार,संजीत कुमार, अरविंद कुमार,प्रवीन कुमार का व उपेंद्र कुमार करियाबार निवासी ने अपने भाई अमित कुमार का विद्यालय का ट्यूशन फीस व छात्रावास (हॉस्टल)शुल्क बिना दिए अपने बच्चों को दूसरे स्कूल में ले जाना चाह रहे थे ।
केस करने के पीछे का कारण
विद्यालय निदेशक।संजीव कुमार ने जब अपने बकाया राशि का मांग किया।तो विद्यालय में 20- 25की संख्या में आकर तोड़फोड़ करके निदेशक कुमार के साथ मारपीट कर बच्चों को ले जाना चाहते थे जिसकी शिकायत जब श्री कुमार ने थाना में प्राथमिकी दर्ज कर किए तो रामचंद्र यादव अपने भाई शंकर यादव के साथ षड्यंत रच कर झूठा मुकदमा दायर कर दिया।संजीव कुमार बिल्कुल निर्दोष हैं प्रथम दृष्टया ये मुकदमा हीं नहीं बनता है। ज्ञाता हो की संजीव कुमार भी चंदवारा थाना कांड संख्या 92/2016 दर्ज कराया है जिसपर रामचंद्र यादव,शंकर यादव व उपेंद्र यादव पुलिस बेल पर हैं। उच्च न्यायालय के अधिवक्ता बिनोद सिंह ने लॉ प्वाइंट के हिसाब से संजीव कुमार को बरी करने का आग्रह किया।
सभी गवाहों व प्रस्तुत दस्तावेज को देखते हुए न्यायालय ने संजीव कुमार को बाईज्जत बरी कर दिया। बाईज्जत बरी (रिहाई)होने पर संजीव कुमार के आंखो में खुशी के आंसू छलक उठे। उन्होंने कहा कि मुझे न्यायालय ने बरी करके 6वर्ष से लगे एक झूठे कलंक से निष्कलंकित कर दिया।सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं। अब मैं और दोगुने उत्साह के साथ अपने संस्थान संजीवनी अकादमी में सेवा दूंगा।