ठग अभिषेक कुमार :पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने बिहार के डीजीपी को फोन मिलाया और कहा कि गया के पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार पर शराब मामले में जो केस दर्ज है उसे खत्म करिए साहब ने केस की io को कॉल किया ।
पता चला कि इन्वेस्टिगेटिंग ऑफीसर निजी काम से चेन्नई गया हुआ है। डीजीपी ने io को तुरंत फ्लाइट पकड़कर पटना बुलवाया और महज कुछ घंटों में ही आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार को क्लीन चिट दे दी।
चीफ जस्टिस ने फिर डीजीपी को कॉल किया और कहां पूर्णिया एसपी पर जो छापेमारी हुई है उसके बाद जगह खाली हो रही है इसलिए आदित्य कुमार की पोस्टिंग कर दीजिए।
डीजीपी साहब सर सर करते हुए हुए चीफ जस्टिस का हर आदेश का पालन करते रहे । अगर चीफ जस्टिस ने गुस्से में फोन काट दिया तो डीजीपी साहब व्हाट्सएप पर चीफ जस्टिस को मैसेज कर कॉल करने का समय मांग मागते। यह सब कई दिनों तक चलता रहा।
फिर अचानक एक दिन पता चला कि जो कॉल चीफ जस्टिस के नाम पर डीजीपी साहब को आ रहे थे दरअसल अभिषेक अग्रवाल नाम का एक ठग है जो आईपीएस आदित्य कुमार का दोस्त है। इतना ही नहीं इस ठग के दर्जनों सीनियर आईपीएस अधिकारियों के साथ हैं कई संपादकों का भी पहचान है।
तस्वीरें गवाही दे रही है यानी एक ठग ने राज्य के डीजीपी को उल्लू बनाया बल्कि डीजीपी साहब से नियम कायदों को ताक पर रखकर शराब के गंभीर मामले में आरोपी आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार को क्लीन चिट दिलवाकर पोस्टिंग का जुगाड़ करवा दिया ।
आज आपको ऐसी कहानी बताने जा रहा हूं जो भारत के इतिहास में संभवत पहली बार हुई होगी और कहीं नहीं है बल्कि यह कहानी बिहार पुलिस की कार्यशैली को पूरी तरह से सपोर्ट करने वाली भी हैरान करने वाली यह बताने के लिए काफी है कि बिहार में पुलिस सिस्टम कितना खोखला हो चुका है।
यह कहानी शुरू होती है जब आईपीएस आदित्य कुमार गया के एसएसपी हुआ करते थे। मार्च 2021 में फतेहपुर थाना अध्यक्ष पर भारी मात्रा में शराब पकड़े जाने पर बिना f.i.r. जब्ती सूची में दर्ज किए शराब को कई-कई दिनों तक थाने में रखने का आरोप लगा ।
मामला मीडिया में आने के बाद एएसपी मनीष कुमार ने जांच कर अपनी रिपोर्ट 2 अप्रैल 2021 को थानाध्यक्ष संजय कुमार की लापरवाही की पुष्टि हुई थी।लेकिन मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
हालांकि यह दबा हुआ मामला तब दोबारा चर्चा में आया जब एक इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी ने इसकी शिकायत तत्कालीन आईजी अमित लोढ़ा से की।
इस मामले को लेकर मगध रेंज के आईजी अमित लोढ़ा और एसएसपी आदित्य कुमार के बीच अनबन शुरू हो गए लेकिन थानेदार संजय कुमार को निलंबित करने की बजाय एसएसपी ने 2 जून 2021 को फतेहपुर थाने से हटाकर पुलिस लाइन क्लोज कर दिया ।
और 15 दिन बाद एसपी ने नरमी दिखाते हुए संजय कुमार को बाराचट्टी थाने में नियुक्त कर दिया मामले को लेकर पटना मुख्यालय तक सूचना पहुंचने के बाद संजय कुमार को आईजी के आदेश पर निलंबित कर दिया गया।
लेकिन इस दौरान आईजी और एसएसपी के बीच विवाद गहरा गया। इसको देखते हुए दोनों को ही वहां से हटा दिया गया और आदित्य को पुलिस मुख्यालय पटना में पोस्टिंग दी गई ।
इस दौरान शराब मामले की जांच कर रहे निगरानी विभाग ने फतेहपुर के तत्कालीन थानाध्यक्ष संजय कुमार और एसएसपी आदित्य कुमार दोनों की भूमिका संदिग्ध मानी।
और उसी आधार पर इसी साल मई में आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार पर गया के फतेहपुर थाने में एफ आई आर दर्ज की गई। आदित्य कुमार अग्रिम जमानत लेने पहुंचे लेकिन उनकी जमानत याचिका खारिज हो गई।
जिसके बाद से वह फरार चलने लगे 3 महीने बाद आदित्य कुमार को पटना हाईकोर्ट से जमानत मिली। दोबारा पुलिस मुख्यालय दोबारा पुलिस मुख्यालय जाने लगे।
लेकिन जमानत मिलने के बाद आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार ने ऐसी साजिश रची जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था । आर्थिक अपराध इकाई ने जो एफ आई आर दर्ज की है उसके मुताबिक आदित्य कुमार ने अपने दोस्त अभिषेक अग्रवाल से केस खत्म कराने के लिए मदद मांगी।
ठग कैसे बना चीफ जस्टिस पटना हाई कोर्ट
और आदित्य कुमार के दफ्तर में हुई कई मीटिंग में पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल के नाम पर को फर्जी तरीके से कॉल करके मनमाने ढंग से आदित्य कुमार के किस जिले में पोस्टिंग कराने के लिए बाध्य किया।
इसी रणनीति के तहत अभिषेक अग्रवाल ने फर्जी तरीके से एक लड़के के नाम पर सिम कार्ड लेकर सबसे पहले व्हाट्सएप पर चीफ जस्टिस संजय करोल की फोटो लगाई। डीजीपी को कॉल करने लगा।
इस दौरान आदित्य कुमार ने कई गोपनीय दस्तावेज अभिषेक को डीजीपी के पास जाने से पहले आदित्य कुमार के पास आते थे।
अभिषेक का इस्तेमाल करने लगा और कहता कि मैंने आपका यह काम करवा दिया है। और जब वह काम वाकई में हो चुका होता था।
फिर आदित्य कुमार पर दर्ज मुकदमा खत्म करने का दबाव बनाने लगा इस दौरान चीफ जस्टिस बार कॉल किया तो नाराज होकर फोन काट देने पर डीजीपी ने भी नहीं किया।
कॉल करने वाला वाकई में चीफ जस्टिस है या नहीं यह जांच किए बिना ही और सारे नियम कायदे तोड़ते हुए 5 सितंबर को आदित्य कुमार को क्लीन चिट दिलवा दी ।
इतना ही नहीं इसके आदेश पर डीजीपी ने आदित्य कुमार की पोस्टिंग के करवा दी।
सूत्रों के मुताबिक अभिषेक और आदित्य के करीबी बताए जाने वाले कथित सामाजिक कार्यकर्ता कुमार की गिरफ्तारी के बाद पूरे षडयंत्र की परतें खुलने शुरू हुई है।