रांची झारखंड राज वैसे तो खनिज संपदा से भरा हुआ है। झारखंड राज्य का निर्माण इसलिए किया गया था कि झारखंड के युवक अल्पसंख्यक आदिवासी समाज को यहां के युवाओं को उत्थान हो सके।
हालत यह हो गई है कि झारखंड के युवा की बेरोजगार स्थिति बद से बदतर हो गया है। सरकार की नीतियां झारखंड के युवाओं के हक में आज तक नहीं बन पाया है।
जब से झारखंड राज्य का निर्माण हुआ है यहां पर गिने-चुने को छोड़कर सारी परीक्षाएं कोर्ट कचहरी धांधली में फस गया।
यहां के गरीब शोषित आदिवासी अभ्यर्थी का चयन उनके टैलेंट के हिसाब से ना होकर कचहरी धांधली सेटिंग से सरकारी जॉब हुआ।
नौकरी चयन ग्रुप ए ग्रेड से लेकर ग्रुप डी ग्रेड पारदर्शिता नहीं हुआ है। ऐसा यहां के बेरोजगार अभ्यार्थी कहते हैं।
झारखंड कर्मचारी चयन आयोग JSSC या JPSC द्वारा समय पर परीक्षा ना लेना का मुख्य कारण झारखंड सरकार की नीतियां होती है।
कोर्ट कचहरी में फस जाने से युवाओं के साथ हमेशा धोखा होता है। राज्य के मंत्री नेता विधायक हमेशा ऐसा ऐसा बयान देते हैं कि यहां के युवाओं को अब मजबूरन रोजगार की मांग ना कर , नीति बनाने को लेकर आंदोलन करना पड़ रहा है।
हेमंत सरकार के द्वारा 2021 में नियोजन नीति जो बनाई गई थी उसे जब से हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया युवा हताश और बेहाल हो गए हैं।
रोजगार को छोड़ अब नियोजन नीति पर जोर दे रहे हैं कि सरकार नियोजन नीति बनाए , सरकार को रिक्वेस्ट कर रहे हैं कि कोर्ट ना जाए, पहले आप नियोजन नीति बनाएं उसके बाद अब रोजगार की वैकेंसी करें।
JPSC की के अधिकांश परीक्षाएं कोर्ट कचहरी पड़ा हुआ है । यहां तक कि झारखंड बनने के बाद पहली बार जेपीएससी या दूसरी बार की JPSC हो सीबीआई के द्वारा जांच किया जा रहा है।
प्रथम jpsc का जांच भी पूरा नहीं हुआ है और बहुत से अधिकारी रिटायरमेंट की कगार पर हैं या रिटायर हो गए हैं यही तो हाल है झारखंड राज्य का।