Ramgadh upchunav : रामगढ़ विधानसभा पर होने जा रहे उपचुनाव को लेकर सत्ता पक्ष कांग्रेस और विपक्ष आजसू ने अपने-अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। आजसू ने गिरिडीह सांसद की पत्नी सुनीता चौधरी को टिकट दिया है। कांग्रेस ने रामगढ़ पूर्व विधायक ममता देवी की पति बजरंग महतो पर दांव खेल दिया है।
AJSU को भाजपा और कांग्रेस को अपने सहयोगी महागठबंधन झामुमो और राजद का समर्थन प्राप्त है। रामगढ़ सीट हमेशा से AJSU का गढ़ रहा है। लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और आजसू अलग-अलग चुनाव लडने के कारण फायदा यूपीए प्रत्याशी ममता देवी को हुआ था।
हालांकि इस बार AJSU–BJP एक साथ चुनाव लड़ रही है । दूसरी तरफ 2024 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी इस सीट को किसी भी हाल में गंवाना नहीं चाहेंगी। यहीं कारण है कि जीत के लिए कांग्रेस अपने सहयोगी झामुमो के साथ जिला स्तरीय समन्वय समिति बनाएगी।
समन्वय समिति बनाने के साथ दिग्गज नेता करेंगे चुनाव प्रचार
जिला स्तरीय समन्वय समिति में स्थानीय नेताओं को शामिल किया जा रहा है। जिसमें कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष शहजादा अनवर, बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद, कांग्रेस जिला अध्यक्ष मुन्ना पासवान और झामुमो से राज्य समन्वय समिति के सदस्य फागु बेसरा, पूर्व विधायक योगेंद्र महतो, झामुमो जिला अध्यक्ष विनोद किस्कु का नाम शामिल हैं।
महागठबंधन प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस-झामुमो के दिग्गज नेता चुनावी प्रचार करने की तैयारी हो चुकी है। प्रचार करने वालों में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, प्रभारी अविनाश पांडे, प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, कांग्रेस के विधायक, झामुमो के दिग्गज नेता शामिल हैं।
कांग्रेस प्रत्याशी बजरंग महतो 7 फरवरी को अपना नामांकन दाखिल करेंगे जहां नामांकन के समय कांग्रेस-झामुमो के प्रदेश स्तरीय दिग्गज नेता भी शामिल रहेंगे।
उपचुनावों में महागठबंधन को मिलती रही हैं जीत
दिसंबर 2019 को हेमंत सोरेन सरकार सत्ता में बाद से राज्य में चार विधानसभा (दुमका, बेरमो, मधुपूर और मांडर) में उपचुनाव हो चुके हैं।
4 ही सीटों पर महागठबंधन प्रत्याशी को जीत मिली है। अंतिम उपचुनाव मांडर सीट पर भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंकी फिर भी केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और अन्नपूर्णा देवी के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने लगातार विधानसभा का दौरा करने के बाद भी महागठबंधन की ही जीत हुई।
रामगढ़ चुनाव इस बार दिलचस्प इसलिए भी हो गया है क्योंकि बेरोजगार युवकों ने भी बड़ी संख्या में नामांकन के लिए ताल ठोक दी है।