खतियान आन्दोलन जन आंदोलन था जो वर्षो से लोगो के दिमाग और दिल में सुलग रहा था जिसे बोकारो से 25 दिसंबर 2021 को भाषा आन्दोलन के रूप में कुछ आन्दोलनकारी ने प्रारंभ किया ग्यारह विधायको का पुतला दहन करके किया।
,जिसमें सफी इमाम, राजेश औझा,तीर्थनाथ आकाश , राजेश महतो व अन्य मौजूद थे । जो देखते ही देखते जन आंदोलन में बदल गया।
जिसे एक समिति झारखण्ड भाषा संघर्ष समिति का नाम दे दिया गया। लोग देखते ही देखते जुड़ते चले गए। बैठक, सभा होने लगी ,30 जनवरी 2022 को विशाल मानव श्रंखला बनाई गई।
इसी क्रम में विधानसभा सत्र के कुछ दिन पहले तीर्थनाथ आकाश भाषाई अतिक्रमण के खिलाफ अपने कुछ साथी के साथ मिलकर धनबाद से राँची तक पदयात्रा करके राजभवन के समक्ष धरना दिया।
वहीं कसमार के बगियारी मोड़ में आपातकालीन बैठक बुलाई गई जिसमें सफी इमाम, अमरेश लाल महतो,भुवनेश्वर महतो व अन्य ने भाषा आन्दोलन से इतर खतियान आन्दोलन तेज करने के लिए रणनीति बनाई, क्योंकी भाषाई आन्दोलन से भाषाई वैमनस्यता बढ़ने की खतरा था।
इसलिए एक समिति झारखण्ड खतियान संघर्ष समिति के नेतृत्व में संपूर्ण झारखण्ड में *खतियान रथ यात्रा* की योजना बनाई गई।
जो भाषा आन्दोलन को खतियान आन्दोलन में बदलने की अपना उद्देश्य में बहुत हद तक सफल हुई। इधर लगभग एक महिने के बाद जयराम महतो आन्दोलन से जुड़ा और झारखण्ड भाषा संघर्ष समिति से पहचान बनते ही एक समिति झारखण्डी भाषा-खतियान संघर्ष समिति बना लिया और अकेले सभा करने लगा।
दुसरी और झारखण्ड आन्दोलनकारी पुर्व विधायक सुर्य सिंह बेसरा, पुर्व मंत्री गीताश्री उरांव, पुर्व विधायक अमित महतो ने पार्टी छोड़कर आन्दोलन में शामिल हुए।
इसी क्रम में राज्य के अलग-अगल जगह में खतियान आधारित स्थानीय नीति-निर्माण की मांग अनेको आदिवासी-मूलवासी संगठन ने जोर-शोर से उठाई।
सभा सम्मेलन आयोजित की और विधानसभा घेराव हुआ। इस प्रकार आज विधानसभा में जो 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति पास हुआ है। इसमें अनेकानेक निरह जनता,आन्दोलनकारी व मिडीया बंधुओं का अहम भूमिका रहा है। सभी को कोटी-कोटी धन्यवाद।
खतियान आधारित स्थानीय नीति के लिए हेमंत सरकार को आभार।
जोहार। सफी इमाम।
प्रेस विज्ञप्ति
11/11/2022