झारखंड की सांस्कृतिक विरासत को सँभालना युवाओं की ज़िम्मेदारी-संतोष महतो

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रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र के सांस्कृतिक-सामाजिक अगुवा और जेएलकेएम के नेता संतोष महतो ने करम परब के अवसर पर विभिन्न अखरा में करमैतीन बहनों से मुलाक़ात की और करम की आशीष और शुभकामनाएँ दी। कैथा, कुसुमटोला, गोबरदरहा, छत्तरमाण्डू,हुहूवा,कोठार, कुन्दरू,बारलोंग,मारंगमरचा,सिकनी बिरहोंहे सहित कई गाँवों का दौरा किए और करम परब के ऐतिहासिक सांस्कृतिक महत्व के बारे में बातें रखी।करमैतीन बहनों ने भी पूरे हर्ष के साथ उनका स्वागत किया और श्री महतो के उपहारों को स्वीकार किया।

करम परब के महत्व को बताते हुए उन्होंने कहा कि इस परब में सृष्टि के उत्पत्ति का सार संदर्भ निहित है।चार साल से सोलह साल की कुँवारी बहनों द्वारा यह परब मनाया जाता है।सात प्रकार के दालों और धान के बीज का नदी से लाये सबसे साफ़ बाला में जावा लगाया जाता है और सात,नौ या ग्यारह दिन नौ तरह के ताल और नौ तरह के झूमर नाचकर जगाया जाता है।

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करम के 52 गीत हैं जो कि पूरे झारखण्ड में एक समान एक सुर में गाये जाते हैं।करम पेड़ और धान बीज का जीवन चक्र एक समान होता है,साथ ही करम पेड़ की विशेषता है कि वो जितना ज़मीन के ऊपर विकसित होता है उतना ही ज़मीन के नीचे भी जड़ फैलाता है जो कि जल स्तर के अनुमान लगाने का पुरखा काल से तकनीक के रूप में चला आ रहा है।

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जावा की माँ के रूप में कुँवारी बहने भविष्य में जागरूक माँ कैसे बनेगी उसका परंपरागत प्रशिक्षण का परब है करम और विभिन्न प्रकार के परहेज़ और ख़ान पान के बारैन रखकर नौ से ग्यारह दिन बिताती हैं साथ ही नहाने-सोने और पहनने ओढ़ने के तरीक़े पर बिलकुल गर्भवती माँओं के समान होता है।

आगे उन्होंने बताया कि करम परब धान के पौधों के किशोरावस्था में पहुँचने की ख़ुशी में मनाया जाता है साथ ही बहन-भाई के करम और धरम के संकल्प का प्रतीक है।यहाँ बहनों के “करम” से आशय उनके कृषि कर्म सीखने और “धरम” का मतलब भाइयों के गृहस्थी कार्यों में ज़िम्मेदारी धारण करने से संबंधित है।

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कर्मा-धर्मा की कहानी को उन्होंने पूरे तरीक़े से काल्पनिक बताया और व्यावहारिक नेगाचारी के महत्व को स्वीकार करने और किसानों खेतिहरों को अपने झारखंड के पारम्परिक परब के अंदर निहित वैज्ञानिकता को समझने और जीवन में अमल में लाने की अपील भी किए।उन्होंने अखरा के करमैतीन बहनों को आगामी परब लाल पार साड़ी पहनकर पूरे विधि विधान से मनाने का आग्रह भी किया।

क्षेत्र के ग्रामीणों ने संतोष महतो का दिल से स्वागत और अभिनंदन किया साथ ही हर तीज त्योहार और सुख दुख में साथ खड़े होने के लिए आभार भी जताया।क्षेत्र भ्रमण के दौरान उनके साथ प्रदीप महतो,जेएलकेएम ज़िला उपाध्यक्ष लालू प्रसाद,ज़िला समिति सदस्य हरीश प्रभाकर,रामगढ़ प्रखंड अध्यक्ष सूरज कुमार,सुनील कुमार,देवेंद्र कुमार,बीरू कुमार,कृष्णा कुमार,मुनिनाथ महतो,धनेश्वर महतो,मुकेश महतो तापेश्वर महतो,ब्रजेश मुण्डा,अब्दुल अहद अंसारी,अनिल महतो,राकेश सिन्हा आदि लोग थे।

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