मनरेगा न्यूज वित्तीय वर्ष 2008-9, 2009-10, 2010-11 में चाईबासा में करीब 28 करोड़ रुपए का मनरेगा घोटाला हुआ है।इसे लेकर चाईबासा में पुलिस ने 14 एफआईआर दर्ज की थी। बाद में एसीबी ने मामले में भी पीइ (प्रारंभिक जांच) दर्ज कर अनुसंधान भी शुरू किया था। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
चाईबासा में इस तीन वित्तीय वर्षों में मनरेगा कार्यों में अग्रिम राशि का भुगतान तो कर दिया गया था, लेकिन कोई काम धरातल पर नहीं हुआ था। उस समय चाईबासा के डीसी के श्रीनिवासन थे।
बता दें कि चाईबासा में मनरेगा घोटाला की जांच को लेकर प्रार्थी ने वर्ष 2013 में जनहित याचिका दाखिल की थी, बाद में कोर्ट ने इस मामले को निष्पादित कर दिया था। इसके बाद प्रार्थी की ओर से वर्ष 2021 में फिर से जनहित याचिका दाखिल कर मामले की सीबीआई जांच की मांग की गई थी।
मनरेगा घोटाला में चाईबासा डीसी से लेकर क्लर्क तक आरोपी
चाईबासा मामले में राज्य मनरेगा कोषांग के विशेष कार्य पदाधिकारी दिवाकर चंद्र झा ने जांच रिपोर्ट में कहा था कि मस्टर रोल, एमबी बुक व स्टीमेट सरकार को नहीं सौंपना पुख्ता सबूत है कि एडवांस राशि का गबन हुआ है। उन्होंने डीसी, डीडीसी, डायरेक्टर, एक्सक्यूटिव इंजीनियर, चाईबासा में तैनात एक्सक्यूटिव इंजीनियर, असि. इंजीनियर व कर्मियों को दोषी ठहराया है।
7 DC पर आरोप :
एमपी मिश्रा
आरएस वर्मा
एमपी सिन्हा
सुनिल कुमार
के श्रीनिवासन
बीके मुंडा
ए सिद्दीकी पी
सात DDC
गोसाई उरांव
राम बच्चन राम
सुरेश प्रसाद वर्मा
विष्णु कुमार
आभा कुसुम
बाल कृष्ण मुंडा
चंद्रशेखर प्रसाद
9 डायरेक्टर
गोसाई उरांव, एसके किस्पोट्टा
पी उरांव, अवधेश उपाध्याय,
एनकेपी सिंह, कामेश्वर प्रसाद,
दिलीप तिर्की, बीके मुंडा, नरूल होदा.
5 एक्जीक्यूटिव इंजीनियर
नंद किशोर प्रसाद, विजय कुमार दास (दो कार्यकाल), लेवा मिंज, रामाशीष राम और जगदीश साह
4 असिस्टेंट इंजीनियर
पंकज कुमार झा, महेश प्रसाद
विशाल खलखो, प्रेम कुजूर
5 कर्मचारी भी हैं शामिल
रामाकांत प्रधान, आशुतोष गोराई, के किशोर, हरी पुरती, एके मिश्रा