झारखंड शिक्षक संविदा भर्ती में, हो सकता है नया समस्या

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Jharkhand teacher vacancy राज्य में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए सरकार के वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर अनुबंध पर होने वाली संभावित नियुक्ति पर अभी से ही प्रश्न उठने लगे हैं।

दरअसल शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने  कई मौकों पर ये बयान दिया है कि पारा शिक्षकों की भर्ती की जायेगी। वहीं, TGT और PGT शिक्षकों की भी भर्ती होगी। TGT और PGT शिक्षकों के लिए जिला स्तर पर डीसी की अगुवाई में कमेटी भी बन गई है।

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अगर बात करे  गुमला और सरायकेला खरसावां जिला के उत्कृष्ट विद्यालयों एवं प्रखंड स्तरीय आदर्श विद्यालयों के लिए कॉन्ट्रैक्ट आधारित शिक्षकों के चयन का विज्ञापन जारी भी हो चुका है।

इन सभी भर्तियों को लेकर अभी से ही विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं।  गौर करने वाली है कि प्रदेश में पहले से ही शिक्षकों की कमी है। ऐसे में झारखंड में अति उत्कृष्ट और 325 प्रखंड स्तरीय आदर्श विद्यालय भी खोलने का ऐलान किया गया है। ऐसे में शिक्षकों की कमी से सरकार की मंशा और नियत भी प्रभावित हो सकती है।

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झारखंड राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ ने स्थायी शिक्षकों की मांग की है। इस संबंध में संघ ने शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो को चिट्ठी  भी लिखी है। संघ के मुताबिक एक तरफ राज्य सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर अन्य सुविधाओं को बहाल करने पर जोर दे रही है।

वहीं दूसरी तरफ शिक्षकों की नियुक्ति संविदा पर कर रही है। संविदा आधारित नियुक्ति होने से पठन-पाठन में इसका असर बहुत पड़ने की संभावना है।

पहले से ही राज्य में शिक्षकों की भारी कमी है और शिक्षा का स्तर भी नीचे है जो कि एक रिपोर्ट में भी आया है, वहीं दूसरी तरफ प्रखंड स्तर और स्कूल ऑफ एक्सीलेंस और आदर्श विद्यालय खोले जा रहे हैं, जिसकी पढ़ाई व्यवस्था काफी प्रभावित हो सकती है। क्या सरकार इस मानसा के साथ में खरा उतर पाएगी यह बहुत बड़ा सवाल और प्रश्न चिन्ह है।

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बात करे  शिक्षा विभाग का  तो उनका कहना है कि राज्य शिक्षा परियोजना के द्वारा दिए गए फैसले के अनुरूप जिलों को नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करनी है, जिसमें जिला स्तर पर सरकार के आरक्षण नीति को ध्यान में रखकर पदों को आरक्षित किया गया है।

नियुक्ति प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता रखने के लिए निर्देश दिए गए हैं, जिससे किसी तरह की गड़बड़ी की शिकायत ना आए., लेकिन स्कूल संचालित होने से पहले ही जिस तरह से शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर विवाद उठा है, उससे यही लगता है कि आदर्श विद्यालय का सपना धरा का धरा ना रह जाए।

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