खाता न बही, जेपीएससी जो कहे वही सही नहीं चलेगा : युगेश

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JPSC news झारखंड गठन के पूरे 23 वर्ष बीत जाने के बाद भी जेपीएससी का हाल बेहाल है। यह समझ से परे है कि कौन-से विशेषज्ञ प्रश्न पत्र सेट करते हैं एवं चंद दिनों में ही आयोग द्वारा आयोजित बाल विकास परियोजना पदाधिकारी के कुल 10 प्रश्नों का उत्तर बदल जाता है। इससे विश्वसनीयता पर बहुत बड़ा सवाल उठता है।

जेपीएससी विशेषज्ञ को नहीं पता झारखंड में जनजातियों की संख्या कितनी

जेपीएससी द्वारा संशोधित उत्तर दिये जाने के बाद भी उसमें त्रुटियाँ रह गई हैं। राष्ट्रपति को किसी भी जाति को जनजाति में शामिल करने का अधिकार है। राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद 8 अप्रैल, 2022 को ही पुराण जनजाति को राज्य की 33 वीं जनजाति में शामिल करने संबंधित गजट जारी किया जा चुका है। वर्तमान समय में झारखंड में पुराण समुदाय का जाति प्रमाण पत्र भी अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत जारी किया जा रहा है लेकिन जेपीएससी के विशेषज्ञ आदिवासी बहुल राज्य में जनजातियों की सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक गतिविधियों से अनभिज्ञ हैं।

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छात्र नेता युगेश भारती ने कहा कि सड़क से सदन तक जेपीएससी के विरुध्द आंदोलन किया जायेगा एवं माननीया राष्ट्रपति को पोस्टकार्ड अभियान द्वारा सूचित किया जायेगा कि संवैधानिक संस्था जेपीएससी किस प्रकार संवैधानिक गजट की भी धज्जियाँ उड़ा रही है।

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