योगेंद्र साव जिसे भाजपा सरकार में जेल भेजा गया और अब जेल से बाहर आ गए

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बरही (हजारीबाग) झारखंड के पूर्व कृषि मंत्री योगेंद्र साव जेल से बाहर आ चुके हैं। हालांकि आने में देरी हुई परंतु सड़कों पर लगे पोस्टरों के उखड़ने से पहले वह बाहर आ गए।

रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा वास (जिसे होटवार जेल के नाम से जानते हैं) से बाहर निकलते ही , उसकी बेटी अंबा प्रसाद एवम कांग्रेसी कार्यकर्ताओं और उनके समर्थकों ने जोरदार स्वागत किया।

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इस दौरान उनके साथ उसकी बेटी अंबा प्रसाद की आंखें नम नजर आई। और हो भी क्यों ना आखिर इतने साल बाद पिता जेल से बाहर जो आए हैं।

कौन है योगेंद्र साव

योगेंद्र साव वर्तमान में बड़कागाव के विधायक अंबा प्रसाद के पिता है । योगेंद्र साव कांग्रेस के नेता हैं और  बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र में उनकी जबरदस्त पकड़ है।

बड़कागाव क्षेत्र से ही वह विधायक भी रह चुके हैं ।और सरकार में रहने के दौरान वह महत्वपूर्ण विभाग कृषि मंत्रालय के मंत्री भी रह चुके हैं।

योगेंद्र साव की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब मोदी लहर वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 4 सीटों पर ही सिमट गई थी। उस समय योगेंद्र साव की पत्नी , योगेंद्र साव की लोकप्रियता के कारण बहुत बड़े अंतराल से जीत दर्ज की थी।

यह समझ सकते हैं कि कांग्रेस की सीट पर बड़कागांव विधानसभा से चुनाव जीतने वाले विधायक अम्बा प्रसाद विरासत को संभाल रही है ।

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योगेंद्र साव किस मामले में जेल गए थे 

जानकारों की मानें तो योगेंद्र साव पर दर्जन भर से ज्यादा केस थे। जिसमें रंगदारी वसूली जैसे अपराध भी शामिल थे। परंतु कानूनी प्रक्रिया पूर्ण करते हुए न्यायालय द्वारा उसे वक्त वक्त पर अलग-अलग मामलों में बरी किया जाता रहा।

हालांकि इन सब मुकदमों के बीच उस मुकदमे ऐसे थे जिसने पुलिस जिला प्रशासन के होश उड़ा दिए साथ ही साथ पूरे राज्य पर ध्यान अपनी और खींच लिया।

ऐसे मामलों में शामिल है बड़कागांव गोली कांड। जेल में रहते हुए फोन पर रंगदारी मांगना और केरेडारी थाना कांड संख्या 33/12  ।

केडी केरेडारी थाना कांड संख्या 33/12 यह खास है क्योंकि यही वह मामला है जिसमें आज वह जेल से बाहर आए मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक न्यायालय ने उन्हें किसी भी प्रकार का सच नहीं मिलने से बरी किया है

क्या है केरेडारी थाना कांड संख्या 33/12

दैनिक भास्कर के रिपोर्ट के अनुसार 28 मई 2012 को केरेडारी थाना क्षेत्र में उपायुक्त डॉ मनीष रंजन के काफिले पर पथराव हुआ था।

मामले में बड़कागांव के तत्कालीन विधायक योगेंद्र साव व द्रोपती देवी समेत 25 लोगों पर नामजद प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

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प्राथमिकी में 80 से 50 अज्ञात लोगों को भी अभियुक्त बनाया गया था। अब 10 सालों बाद उन्हें न्यायालय ने सबूत नहीं मिलने पर बरी कर दिया है।

योगेंद्र साव अपराधी या मसीहा

पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को विरोधियों ने हमेशा एक अपराधी किस्म का नेता कहा है। मगर वास्तव में बड़कागांव की आम जनों में उनका जबरदस्त क्रेज है।

लोगों में उन्हें कॉर्पोरेट तत्वों की गलत नीति से बचाने वाला मसीहा नजर आता है।

इसे ऐसे समझें जब एनटीपीसी के खिलाफ बानादाग हजारीबाग सदर विधानसभा क्षेत्र में प्रदर्शन होता है । तो बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र के विधायक  अंबा प्रसाद के आवाहन पर पत्थर चलने बंद हो जाते हैं।

क्योंकि लोगों में विश्वास है कि योगेंद्र साव और उसकी बेटी कॉर्पोरेट लोगों से उन्हें उनका हक दिलवाएंगे।

वही बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो योगेंद्र साव और उसकी बेटी विधायक अंबा प्रसाद ने किसी भी कार्यक्रम में जनसैलाब उमड़ पड़ता है।

अक्सर कार्यक्रमों में खुले मंच से विधायक अंबा प्रसाद यह कहते हुए भी पाई जाती हैं कि यह जनसैलाब पैसों के बलबूते नहीं आया है यह लोग अपने लोग हैं जो मुझे और मेरे पिता से प्यार करते हैं

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