हैरतअंगेज ! हाईकोर्ट ने 115 करोड़ जमा करने को कहा था आदेश की कॉपी से गायब कर दी गई यह लाइन। सुप्रीम कोर्ट ने दिया जांच का ऑर्डर

author
0 minutes, 3 seconds Read

नई दिल्ली समय के साथ अपराध करने के तरीके भी बदलते गए । एक सनसनीखेज मामला और हद स्टैंड मामला उच्च न्यायालय मद्रासी आई है। आपने एक से बढ़कर एक अनोखे अपराध के बारे में सुने होंगे लेकिन यह मामला बहुत ही अलहदा और हास्यास्पद है।

क्या आप कभी सोच सकते हैं कि कोर्ट रूम में जज कुछ फैसला सुनाएं और वह वादी प्रतिवादी के पास पहुंचते-पहुंचते कुछ और हो जाए? ऐसा ही हुआ है मद्रास हाई कोर्ट के ऑर्डर के साथ। हाई कोर्ट के ऑर्डर की जो प्रमाणित कॉपी मुकदमा लड़ रहे दोनों पक्षों को दे दी गई।

Whatsapp Group

असली ऑर्डर से बिल्कुल अलग थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस फर्जीवाड़े पर हैरानी जताई और बेहद गंभीरता से लिया है। देश की सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अब बिल्कुल असामान्य स्थिति है सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच करें और रिपोर्ट बंद लिफाफे में सौंपी सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास High court रजिस्टर से कहा है।

सुप्रीम कोर्ट को दिखाई दोनों कॉपियां 

सुप्रीम कोर्ट के दो जजों जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बीवी नागरथ उनके बेंच ने हाई कोर्ट रजिस्टार को जांच का ऑर्डर दिया। हाईकोर्ट में दायर संबंधित मुकदमे में एक पक्ष के वकील के सुब्रमण्यम ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को ही बदल दिया गया।

See also  JCB से खुदाई, निकला भगवान की मूर्ति, लोग हैरान

वकील ने सुप्रीम कोर्ट बेंच के सामने मद्रास हाईकोर्ट की दोनों कॉपियां पेश की एक तो हाईकोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की गई और दूसरे हाईकोर्ट के तरफ से मुहैया कराई गई सर्टिफाइड कॉपी। एडवोकेट ने शीर्ष अदालत से कहा कि दोनों कॉपियां में महत्वपूर्ण अंतर है।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने वकील के दावे को सही पाया। उन्होंने आदेश में कहा अच्छी का करता हूं कि शिकायत गुण दोषों का आकलन करने से पहले इस मामले की हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के स्तर से जांच हो।

प्रतिवादी भी हमारे सामने अपना पक्ष रख सकते हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वह अगली सुनवाई में जांच रिपोर्ट पर विचार करेंगे।

1 सितंबर को पारित हुआ था आदेश 

ध्यान रहे कि मद्रास हाई कोर्ट ने 29 अगस्त को मामले की सुनवाई की थी और 1 सितंबर को ओपन कोर्ट में उन्होंने आदेश पारित किया था। हाईकोर्ट ने ओपन कोर्ट में जो फैसला सुनाया था उसे वेबसाइट पर अपलोड किया गया ।

याचिकाकर्ता ने डाउनलोड किया। हालांकि कुछ दिनों बाद वेबसाइट पर भी कॉपी अपलोड कर दी गई जो पहली वाली से भिन्न थी।

साथ ही आदेश की सर्टिफाइड कॉपी जो पहले अपलोड की गई,  कॉपी से अलग है। हाई कोर्ट के ऑर्डर में हुए बदलाव को सुप्रीम कोर्ट की नजर मिलाते हुए वकील के सुब्रमण्यम ने कहा कि दूसरे पक्ष को अन्ना के बैंक में ₹115 जमा करवाने का निर्देश नई कॉपी से हटा दिया गया।

See also  JSSC: पंचायत सचिवों की नियुक्ति 24 मई को,

हाईकोर्ट की बेंच ने कहा हमने आदेश की दोनों कॉपियां देखी है। कुछ पैराग्राफ साफ तौर पर गायब हैं जो अब हाईकोर्ट के वेबसाइट पर उपलब्ध है।

बदले जमाने में अपराध भी नए-नए 

जिंदगी की राहों में जगह-जगह जोखिम है। जोखिम के बिना कुछ बड़ा तो पाया भी नहीं जा सकता। संभावित परिणाम की कसौटी पर जोखिम को जाता है।

और फिर तय होता है कि परिणाम के लिए इस स्तर का जोखिम उठाना उचित होगा या नहीं।

आप सोच रहे होंगे कि सब सुनी सुनाई बातें क्यों दोहराई जा रहे हैं? इसलिए कि इस फार्मूले पर कई अपराधों को भी अंजाम दिया जाता है।

अब सोचिए शासन-प्रशासन की हनक कितनी कम हो गई है कि लोग बड़ा से बड़ा और बिल्कुल नए नए तरह के अपराध करने से चूक रहे।

उन्हें लग रहा है कि ज्यादा से ज्यादा क्या होगा अदालती कार्रवाई होगी।   और इस मामले में क्या सजा हो सकती हैं यह देखना होगा।

 

Share this…

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *