झारखंड मुक्ति मोर्चा के स्थापना दिवस पर गिरिडीह के झंडा मैदान से कल्पना मुर्मू सोरेन जी ने इमोशनल भाषण दिया उन्होंने कहा मेरे पति निर्दोष हैं और उनको षड्यंत्र के तहत फंसाया गया है।
मैं इमाम सफी हेमंत सोरेन के झांसे के कारण बेरोजगार हुं और मेरे जैसे लाखों युवा बेरोजगार हैं। मुझे व्यक्तिगत रूप से कल्पना सोरेन से सहानुभूति है लेकिन हम बेरोजगार को कोई सहानुभूति नहीं मिल रही है। न ही रोजगार मिल रही है न ही बेरोजगारी भत्ता। मुख्यमंत्री साहब ने कहा था सरकार बनने के दो साल के अंदर पांच लाख नौकरी देंगे, जबतक नौकरी नहीं मिल जाता तब तक बेरोजगारी भत्ता देंगे। इंतजार करते चार साल बीत गए कोई वादा पूरा नहीं हुआ है।
दुसरी तरफ अल्पसंख्यक समुदाय विशेष कर मुस्लिम समाज जो युवाओं के बाद सबसे ज्यादा वोट किया था उसके साथ तरह-तरह के अत्याचार हो रहा है,मोबलिंचिग हो रहा है उसके साथ सरकार द्वारा कोई सहानुभूति नहीं किया जाता है न ही मुआवजा दिया जाता है।
हेमंत सोरेन जी तो अभी जिंदा है सिर्फ जेल में है इस तरह तो न जाने कितने बेगुनाह अल्पसंख्यक दलित और पिछड़े समाज के लोग जेल में सड़ रहे हैं।
*लेकिन हम बात कर रहे हैं उन लोगों की जो अब जिंदा भी नहीं हैं, क्या उनके परिवार वालों की आंसुओं की कोई कीमत नहीं है ?*
रांची के साहिल के मां के आंसू मुदस्सिर के मां के आंसू, सरायकेला खरसावां के तबरेज अंसारी की बीवी और मां-बाप के आंसू ,जामताड़ा के मिनहाज अंसारी के बीवी, बच्चे और बूढ़े मां-बाप के आंसू ,रामगढ़ के अलीमुद्दीन अंसारी के बीवी और बच्चे की आंसू, शमसाद अंसारी के बीबी, बच्चों की आंसू, बोकारो के अनिशा प्रवीण के बच्चे और परिवार की आंसू
और इस तरह से कितने मां बहनों की आंसू बिलखते यतीम बच्चों के आंसू जिन्हें मॉब लिंचिंग में मार दिया गया या पुलिस के गोली से मार दिया गया अब तक किसी को इंसाफ नहीं मिला है।
आज तक इन अनगिनत अल्पसंख्यकों के आँसु कोई पोंछने वाला नहीं है। मुआवजा और इंसाफ के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है।
आज सरकार के चार साल में कोई भी चुनावी वादा पूरा नहीं हुआ जिससे, किसान, मजदूर, महिला,बच्चे सब परेशान हैं। हर विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया है। जल,जंगल,जमीन की रक्षा की बात करके सत्ता प्राप्त किये लेकिन जल,जंगल, जमीन के अलावे बालू, पहाड़ भी बेंचा जाने लगा है। न ही कोई नीति बना न नियुक्ति हो सकी , इस समाज के हर वर्ग परेशान हैं। इमाम सफी।