नियोजन नीति ना होने के कारण झारखंड के हेमंत सोरेन सरकार को सत्ता में आने के बाद से लगभग ना के बराबर नियुक्ति की गई है। झारखंड के हेमंत सरकार ने जो राज्य के युवाओं को वादा करके सत्ता पर काबिज हुए थे खरा नहीं उतर पाए।
कोशिश के जरिए 2021 में नियोजन नीति बनाए परंतु हाईकोर्ट के आदेश के बाद रद्द कर दिए जाने के बाद युवाओं के सामने अंधकार छा गया। और सरकार का नियोजन नीति को हाईकोर्ट के द्वारा रद्द किए जाने के बाद करारा झटका लगा।
अपने वादों को पूरा करने के लिए झारखंड की हेमंत सरकार कल विधानसभा पटल पर नई नियोजन नीति 60: 40 को विधानसभा के पटल पर रखने वाली है। मुख्यमंत्री का अपना विचार भी विधानसभा में होगी । परंतु मुख्यमंत्री के सहयोगी दल के विधायक हेमंत सोरेन से ही नाराज है।
40% बाहरी अभ्यर्थियों को इस नियोजन नीति में शामिल होने की सूचना से सहयोगी विधायक ने विरोध करना शुरू कर दिया है। विपक्ष ने भी हेमंत सरकार को घेरा ही है। झारखंड के युवा बेरोजगार 10 मार्च को ट्विटर के जरिए अपना मनसा को जाहिर कर दिया है।
हेमंत सोरेन के साथ असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि अगर युवाओं को हम रोजगार दिलाने में नाकाम रहे तो अगले साल विधानसभा चुनाव में हम क्या मुंह दिखाएंगे ।
हर हाल में नियोजन नीति के कारण लटकी हुई जे एसएससी की परीक्षा को किसी भी तरीके से पूरा कर नियुक्ति प्रक्रिया को अपनाई जाए इसी विचार के साथ जल्दबाजी में ही नियोजन नीति को विधानसभा के पटल पर रखी जा रही है ऐसी सूचना सूत्रों के द्वारा प्राप्त हो रही है।
छात्र संगठन 15 मार्च के बाद विधानसभा घेरने की तैयारी कर रहे हैं लेकिन विधानसभा में नियोजन नीति के दौरान मुख्यमंत्री के भाषण विचार को सुनने के बाद आगे की रणनीति बनाएंगे ऐसा भारत को सूचना मिली है।