बॉम्बे हाई कोर्ट ने सरकारी गोपनीयता अधिनियम के तहत होने वाली f.i.r. पर महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि पुलिस थाने के अंदर वीडियो रिकॉर्डिंग करना अपराध नहीं है। हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने कहा कि पुलिस स्टेशनों को os1 क तहत परिभाषित ने सिद्ध संस्थान में शामिल नहीं किया गया है। इसलिए पुलिस स्टेशन के भीतर वीडियो रिकॉर्डिंग करने को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है।
जस्टिस मनीष पिटले और जस्टिस बाल्मीकि मेनेजेस की पीठ ने मार्च 2018 में एक थाने में वीडियो रिकॉर्डिंग करने को लेकर सरकार सरकारी गोपनीयता अधिनियम के तहत रविंद्र उपाध्याय के खिलाफ दर्ज मामले को खारिज कर दिया।
पीठ ने OSA की भारत 38 भाग 2 को बतला दिया जो निषेध स्थानों पर जासूसी करने से संबंधित है। खंडपीठ ने कहा कि थाने अधिनियम में विशेष रूप से उल्लेख इतनी निषेध स्थान नहीं है । सरकारी गोपनीयता अधिनियम की धारा 2(8) मे निषिद्ध स्थान को जो परिभाषित की गई है या प्रसांगिक है।
यह संपूर्ण परिभाषा है जिसमें किसी ऐसे स्थानीय प्रतिष्ठान के रूप में थाने को शामिल नहीं किया गया है जिसे निषिद्धों स्थान माना जाए। इन प्रावधानों पर विचार कर पीठ ने माना कि रविंद्र के खिलाफ अपराध का मामला नहीं बनता।
क्या था मामला
शिकायत के मुताबिक रविंद्र उपाध्याय पड़ोसी के साथ हुए विवाद को लेकर पत्नी के साथ व्हाट्सएप पुलिस स्टेशन पर गए थे पुलिस ने मां असूस किया कि उपाध्याय पुलिस स्टेशन में ही हो रही चर्चा को अपने मोबाइल फोन से वीडियो कर रहा है। पुलिस ने उनके खिलाफ osa के तहत एफ आई आर दर्ज की थी।
न्यूज सोर्स – पत्रिका न्यूज नेटवर्क