Chhath puja 2022 छठ पूजा उत्तर भारत में बहुत ही प्रसिद्ध पूजा है। आज 28 अक्टूबर 2022 से नहा खाए के साथ छठ पूजा की शुरुआत हो चुकी है। छठ पर्व छठी मैया सस्ती पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के सस्ती को मनाया जाने वाला हिंदू पर्व है। सूर्य उपासना का अनुपम लोक प्रमुख रूप से बिहार झारखंड पश्चिम बंगाल उत्तर प्रदेश नेपाल की तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है।
कहा जाता है कि छठ पर्व मैथिली मगध और भोजपुरी लोगों का सबसे बड़ा पर्व और उसकी संस्कृति है छठ पर्व बिहार में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है यह एकमात्र पर्व है पूरे बिहार या पूरे भारत का ऐसा पर्व है जो वैदिक काल से चला आ रहा है और बिहार का संस्कृति बन चुका है।
छठ पूजा की शुरुआत कैसे हुई ?
Chhath puja 2022 छठ पूजा की शुरुआत एक मान्यता के अनुसार छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल से ही हुई है सबसे पहले सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य देव की पूजा शुरू की। भगवान शिव के परम भक्त हैं वह प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य देव को आग देते थे तब से छठ पूजा की शुरुआत हुई।
छठी मैया कौन है ?
सस्ती देवी को ब्रह्मा के मानस पुत्र भी कहा जाता है। सस्ती देवी को ही स्थानीय बोली में छठी मैया कहा जाता है। जॉनी संतानों को संतान देती है और बालकों को रक्षा करती है। छठी मैया सूर्य देवता की बहन है ऐसा पौराणिक कथा में लिखा हुआ है छठ मैया और षष्ठी दोनों एक ही हैं। कथा के अनुसार ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना करने से पहले खुद को दो भागों में बांटा था
छठी मैया के माता पिता कौन है?
ग्रंथों के अनुसार भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री और सूर्य देव की बहन है छठी मैया इस व्रत में सती मैया का पूजन किया जाता है इसलिए इसे छठ व्रत के नाम से जाना जाता है और प्रसिद्ध है।
छठ माता के पति कौन हैं?
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार कार्तिकेय की पत्नी को छठी देवी या छठी मैया कहा गया है। श्रीमद् भागवत पुराण के अनुसार प्रकृति के छठे अंत से प्रकट हुई सोलह मातृका ओं अर्थात माताओं में प्रसिद्ध छठी देवी छठी मैया ब्रह्मा जी की मानस पुत्री हैं।
छठ पूजा में कौन-कौन से फल लगते हैं
Chhath puja 2022 छठ पूजा में 6 फल महत्वपूर्ण है और यह फल छठी मैया को पसंद है। नारियल छठ मैया की पूजा में बहुत जरूरी है केला नारियल की भांति छठ मैया को अति प्रिय है गन्ना छठ पूजा में गन्ने का भी बड़ा महत्व है नींबू समान नींबू से बड़े आकार का एक नींबू होता है जो खाने में खट्टा मीठा लगता है बहुत पसंद है सुपारी जल सिंघाड़ा पानी फल भी कहते हैं।
छठ पूजा कैसे की जाती है
Chhath puja 2022 छठ पूजा का आरंभ नहा खा के साथ प्रारंभ होता है। 2022 में 28 अक्टूबर 2022 से ही नहीं खाए की शुरुआत हुई अगले दिन पूरे दिन उपवास रहने के बाद छठ भर्ती खरना करती हैं। शाम में मिट्टी के चूल्हे पर गुण अथवा चावल का खीर बनाकर छठ मैया को भोग लगाते हैं साथ में फलाहार भी करती हैं। इसी प्रसाद को खाक है छठी वर्ती समाप्त होने तक निराहार रहकर व्रत का पालन करते हैं। खरना के अगले दिन सूर्यास्त सूरज को नदी तालाब के किनारे रख देते हैं इससे पहला अर्घ्य कहा जाता है। दूसरे दिन सुबह में उगते हुए सूर्य को अर्घ देने के पश्चात छठ पूजा की समाप्ति हो जाती है।
छठ पूजा Chhath puja 2022 व्रत के नियम
Chhath puja 2022 छठ पूजा का व्रत भगवान सूर्य और छठी मैया का है। इसलिए सूर्य आराधना करना तथा छठी मैया का सम्मान करना अति आवश्यक है। छठ मैया का व्रत बहुत कठिन होता है क्योंकि यह निर्जला और निराहार रहा होता है।
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- छठ पूजा नहा खा से आरंभ हो जाता है इसमें सात्विक भोजन करने का ही प्रथा है लहसुन प्याज वाला भोजन करने से मना ही होती है। अगर ऐसा नहीं होता है तो छठी मैया का पूजा करना असफल हो जाता है सूर्य देव और छठी मैया दोनों पसंद नहीं होते हैं।
- छठ पूजा के व्रत में आप जो भी नमक का भोजन या पकवान बनाते हैं उसमें सेंधा नमक का उपयोग करना होता है साधारण नमक का उपयोग की मनाही होती है।
- छठ पूजा में प्रसाद रखने के लिए बांस की नई टोकरी का उपयोग किया जाता है पुरानी टोकरी का उपयोग करना नहीं होता है। नया ही होना चाहिए।
- जो व्रत रखता है उसे बिस्तर पर सोना नहीं होता है उसे जमीन पर लेट ना होता है
- छठ पूजा का आरंभ करने से पहले घर की अच्छे से साफ सफाई कर ली जाती है उसके बाद स्नान करके भोजन बनाना होता है।
- छठ पूजा का प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर बनाना होता है भोजन वाले स्थान से हटकर छठ पूजा का प्रसाद बनाने की प्रथा है।
- इस बात का ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक होता है कि प्रसाद का भोग छठी मैया के लगने के बाद ही किसी को देना होता है। उससे पहले कोई खा लेता है तो पैसा झूठा माना जाता है और छठ पूजा असफल हो जाता है।
- छठ पूजा के ठेकुआ अति आवश्यक होता है क्योंकि यह छठ मैया का बहुत ही प्रिय भोजन है पूजा करते हैं उसे जरूरी होता है।
- छठ पूजा से होती हैं इन 4 दिनों में नकारात्मक बातों से दूर रखते हैं किसी पर क्रोधित नहीं होते हैं किसी के बारे में बुरा नहीं सोचते हैं के नियमों का पालन करते हैं यदि ऐसा नहीं करते हैं तो छठ पूजा करने का कोई लाभ नहीं होता है।
- छठ पूजा को देते हैं उस समय बांस के धूप में चावल के लड्डू फल ठेकुआ आदि रखकर डूबते सूर्य को जल अर्पित करते हैं छठी मैया का लोकगीत कथा सुनते हैं
- उसके अगले दिन उगते हुए सूरज को देते हैं छठ पूजा का समाप्त किया जाता है।